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    डा. बी. डी. नाग के परमाणु कार्यक्रम को बीएचयू ने दी थी दिशा, बनारस की जेल में भी बिताया दिन

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 06 Sep 2020 11:12 AM (IST)

    डा. बसंती दुलाल (बी डी) नाग चौधरी भारत के उन महान वैज्ञानिकों में से आते हैं भारत को परमाणु क्षमता संपन्न बनाया।

    डा. बी. डी. नाग के परमाणु कार्यक्रम को बीएचयू ने दी थी दिशा, बनारस की जेल में भी बिताया दिन

    वाराणसी, जेएनएन। डा. बसंती दुलाल (बी डी) नाग चौधरी भारत के उन महान वैज्ञानिकों में से आते हैं भारत को परमाणु क्षमता संपन्न बनाया। पोखरण-1 के सफलता हो या बैलिस्टिक मिसाइल के विकास की बात डा. नाग सर्वदा देश को रक्षा के मामले में अभेद्य बनाने में जुटे रहे। डा. नाग को इस स्तर का वैज्ञानिक बनाने में काशी ङ्क्षहदू विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान का अंतरराष्ट्रीय मानक का पाठ्यक्रम सूत्रधार बना। बीडी नाग ने काशी से ही अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी कर 1935 में बीएचयू से स्नातक पूरा किया।

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    दरअसल उस काल में रिवाज था कि परमाणु विज्ञान का अध्ययन करने विदेश ही जाना पड़ेगा। मगर अपने पिता जो बीएचयू में ही प्रोफेसर थे, उनके मार्गदर्शन में उन्हें विश्वविद्यालय में ही पढ़ाई व शोध दोनों स्तर से सहयोग मिला। बीएचयू के एमिरेट्स प्रोफेसर व प्रख्यात भौतिक विज्ञानी पद्मश्री ओएन श्रीवास्तव के अनुसार उस दौरान मालवीय जी के नेतृत्व में बीएचयू  का न्यूक्लियर फिजिक्स की दिशा में देश में सबसे अग्रणी स्थान था। वी दासनचर्या द्वारा स्थापित भौतिक विज्ञान विभाग पूरे भारत में चर्चा का केंद्र बना था।

    इस बीच बीडी नाग को परमाणु शोध व विकास से जुड़े कई पहलुओं की खासी जानकारी हो गई। फिर वह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी चले गए जहां पर उन्हें गुरु के रूप में मिले भारत के सबसे बड़े परमाणु वैज्ञानिक मेघनाथ साहा। वह बीडी नाग से इतना प्रभावित हुए कि उन्हें परमाणु विज्ञान पर शोध करने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी भेज दिए। पीएचडी करके लौटने के बाद डा. साहा ने उन्हें कलकत्ता में साइक्लोट्रोन सेंटर की जिम्मेदारी सौंपी।

    प्रो. ओ एन श्रीवास्तव बताते हैं कि सत्तर की दशक में वह योजना आयोग के सदस्य भी रहे, इसके नाते उन्होंने दिल्ली में राष्ट्रीय परमाणु केंद्र की स्थापना की, जिसमें नए-नए परमाणु वैज्ञानिक तैयार किये जाने लगें। इसके साथ ही वह लंबी अवधि तक भारत के वैज्ञानिक सलाहकार और डीआरडीओ के अध्यक्ष भी रहे। साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स द्वारा प्रकाशित एक लेख के अनुसार डा. नाग बीएचयू में राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रिय रहे। वह अंग्रेजों के समय कई बार अपने विरोधी कदमों के कारण जेल में भी रहे।