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    Diwali 2025: दीपावली में स्थिर वृष लग्न में करें मां लक्ष्मी व गणेश का पूजन, अर्धरात्रि को सिंह लग्न में निशीथ पूजा

    Updated: Fri, 17 Oct 2025 07:16 PM (IST)

    दीपावली कार्तिक अमावस्या को मनाई जाएगी, जिसमें मां लक्ष्मी, गणेश, इंद्र और कुबेर की पूजा की जाती है। इस बार पूजन के लिए प्रदोष काल में स्थिर वृष लग्न का समय शुभ है। तांत्रिक सिद्धियों के लिए निशीथ पूजन अर्धरात्रि में होगा। अमावस्या 20 अक्टूबर को होने से पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। स्थिर लग्न में पूजन करने से शुभ फल मिलते हैं।

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    जागरण संवाददाता, वाराणसी। दीप ज्योति पर्व शृंखला का मुख्य आयोजन दीपावली कार्तिक अमावस्या पर सोमवार 20 अक्टबूर को मनाई जाएगी। दीपमालिकाएं सजा कर श्री एवं समृद्धि की देवी मां लक्ष्मी, भगवान गणेश, इंद्र एवं कुबेरादि देवों का पूजन किए जाने का विधान है। पर्व के दिन ही भगवान श्रीराम के अयोध्या आगमन का लोक प्रसंग होने का हर्ष आतिशबाजियों के रूप में प्रकट होता है। इस बार पूजन के लिए 20 अक्टूबर को प्रदोष काल में सायं 7:10 से रात्रि 9:06 बजे स्थिर वृष लग्न का काल मिलेगा, जो अत्यंत फलदायी है।

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    निशीथ पूजन अर्धरात्रि में तांत्रिक सिद्धियों के लिए की जाती है। इसके लिए स्थिर लग्न के रूप में सिंह लग्न में रात 2:34 बजे से भोर के 4:05 बजे तक मां काली का तंत्र शास्त्र की पद्धति से पूजन होगा।बीएचयू के ज्योतिष विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर आचार्य सुभाष पांडेय बताते हैं कि कार्तिक अमावस्या के दिन की शुरुआत श्रीहनुमान जी के दर्शन-पूजन से होगी।

    अमावस्या 20 अक्टूबर सोमवार को अपराह्न 2:56 बजे से अगले दिन मंगलवार 21 अक्टूबर को अपराह्न 4:26 बजे तक है। प्रदोषकालीन व निशीथव्यापिनी अमावस्या 20 अक्टूबर को होने से पर्व इसी दिन मनाया जाएगा। ख्यात ज्योतिषाचार्य प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय ने बताया कि स्थिर लग्न में पूजन का विधान करने से उसके शुभ फल भी स्थिर व दीर्घकालिक होते हैं।

    दीपावली पर मां लक्ष्मी व भगवान गणेश का विधिवत पूजन प्रदोष काल में करने का विधान है जो सूर्यास्त के बाद दो घंटे 24 मिनट तक होता है। अतएव प्रदोष काल में व्रत आरंभ कर इसे स्थिर वृष लग्न में पूर्ण किया जा सकता है। अमावस्या को एक स्थिर लग्न सोमवार को दोपहर में 2:34 से आरंभ होकर अपराह्न 4:05 बजे तक रहेगा।

    वाणिज्यादिक संस्थानो में मां लक्ष्मी व गणेश पूजन के लिए इस लग्न का भी प्रयोग किया जा सकता है। बीएचयू के ज्योतिष विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. विनय पांडेय बताते हैं कि दीपावली के दिन मां लक्ष्मी का पूजन करते समय श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना चाहिए। श्रीसूक्त अथवा कनकधारा स्तोत्र का भी पाठ किया जा सकता है। साधक को इन मंत्रों या पाठों की जानकारी न हो तो ‘ॐ महालक्ष्म्यै नम:’ मंत्र के साथ पूजन किया जा सकता है।