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    विलुप्त हो रहे और औषधीय पौधों को खोजेगी डिजिटल लाइब्रेरी, बीएचयू में हाइपर स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 29 Aug 2021 01:36 PM (IST)

    ऐसे पौधों की पहचान एवं वास्तविक स्थान की खोज के लिए देश की पहली हाइपर स्पेक्ट्रल डिजिटल लाइब्रेरी बीएचयू में बनाई गई है। यह एक तरह का एप है जिसके माध्यम से कीमती व महत्वपूर्ण पौधों की आसानी से तलाश की जा सकेगी।

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    औषधीय गुणों से भरपूर पौधे अक्सर ही हिमायल पर पाए जाते हैं।

    वाराणसी [मुकेश चंद्र श्रीवास्तव]। औषधीय गुणों से भरपूर पौधे अक्सर ही हिमालय पर पाए जाते हैं। हालांकि जलवायु परिवर्तन के कारण तमाम ऐसे पौधे या तो विलुल्प होने के कगार पर हैं या फिर बहुत ही कम पाए जा रहे हैं। ऐसे पौधों की पहचान एवं वास्तविक स्थान की खोज के लिए देश की पहली हाइपर स्पेक्ट्रल डिजिटल लाइब्रेरी बीएचयू में बनाई गई है। यह एक तरह का एप है, जिसके माध्यम से कीमती व महत्वपूर्ण पौधों की आसानी से तलाश की जा सकेगी। इस लाइब्रेरी का उद्घाटन एक सितंबर को होने जा रहा है। इसके लिए देश के कई ख्यात विज्ञानी आने वाले हैं। इस लाइब्रेरी में करीब 350 पौधों के सैंपल की जियो टैग कि गई है।

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    तीन साल लगे पौधों की लाइब्रेरी बनाने में : यह लाइब्रेरी हाइपर स्पेक्ट्रल सेंसर से विकसित की गई है। इसे तैयार करने के लिए करीब तीन साल पहले से ही कार्य चल रहा था। इसे श्राइम ( स्पेक्ट्रल टूल आफ हिमालयन रेयर इन्वेसिव मेडिसिनल एंड इकोनामिकल प्लांट स्पीसिस ) नाम दिया गया है। इसे पर्यावरण एवं धारणीय विकास संस्थान, बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रशांत कुमार श्रीवास्तव के रिमोट सेसिंग लेबोरेटरी में तैयार किया गया है।

    सेटेलाइट के माध्यम से पहुंच जाएंगे पौधे तक : पहले भी जिसे जरूरत रहती थी तो विज्ञानी पाैधों की तलाश के लिए हिमालय पर जाते थे। यह सारा कार्य मैन्यूअल ही होता था। इसमें खर्च तो अधिक लगता ही था। साथ ही समय भी बहुत लगता था। अब इस नई तकनीक से देश के विज्ञानियों का खर्च एवं समय दोनों की बचत होगी। साथ ही पौधों का संरक्षण भी हो सकेगा। कारण लाइब्रेरी में सभी पौधों के सैंपल पर डिजिटल सिग्नेचर किया गया है। इसको ढूंढने के लिए मोबाइल पर मैप आ जाएगा। सेटेलाइट के मामध्य से विज्ञानी या अन्य इससे जुड़े लोग वहां आसानी से पहुंच जाएंगे।

    पौधे की सेहत भी बताएगा यह सिस्टम : डा. प्रशांत कुमार श्रीवास्तव बताते हैं कि हिमालय की औषधीय, आर्थिक गुणों की जैव विविधता का उपग्रह से परिभाषित करने के लिए यह डिजिटल लाइब्रेरी बनाई गई है। यह पौधे की वास्तविक लोकेशन तो बताएगा ही साथ ही उसकी सेहत के बारे में भी बताएगा। ताकि उसका उचित रख-रखाव किया जा सके। यह खोज मिनिस्ट्री आफ इन्वायरमेंट फोरेस्ट एंड क्लाइमेट चेंज के नेशनल मिसन आन हिमायन स्टडीज के तहत की गई है।

    30 से शुरू होगा आयोजन : इस डिजिटल हाइपर स्पेक्ट्रल लाइब्रेरी के लिए 30 अगस्त से एक सप्ताल का कार्यक्रम शुरू होने जा रहा है। इसी दौरान एक सितंबर को इसका उद्घाटन सीएसआइआर फोर्थ पैराडिग्म इंस्टीट्यूट बंगुलुरु के विज्ञानी प्रो. विनोद कुमार गौड़ व जीवी पंत नेशनल इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन इन्वायरमेंट के निदेशक व विज्ञानी किरीत कुमार करेंगे। लेक्टर के आयोजन आनलाइन होंगे।