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166 साल का हुआ डाक विभाग, एक अक्टूबर को हुई थी स्थापना, वाराणसी परिक्षेत्र में 1699 पोस्‍ट ऑफिस

भारतीय डाक विभाग एक अक्टूबर को 166 साल का हो गया। मगर वक्त के साथ विभाग ने खुद को ढाला और आधुनिकता के साथ भी तालमेल बिठाया। एक अक्टूबर 1854 को डाक विभाग की स्थापना हुई थी। लॉकडाउन के दौरान तो डाकविभाग ने दवाएं पीपीईकिटसैनिटाइजर को भी लोगों तक पहुंचाया।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Wed, 30 Sep 2020 07:56 PM (IST)Updated: Wed, 30 Sep 2020 07:56 PM (IST)
166 साल का हुआ डाक विभाग, एक अक्टूबर को हुई थी स्थापना, वाराणसी परिक्षेत्र में 1699 पोस्‍ट ऑफिस
वाराणसी, विशेश्वरगंज प्रधान डाकघर में लगा पुराना लेटर बॉक्स।

वाराणसी, जेएनएन। भारतीय डाक विभाग एक अक्टूबर को 166 साल का हो गया।  मगर वक्त के साथ विभाग ने खुद को ढाला और आधुनिकता के साथ भी तालमेल बिठाया। एक अक्टूबर, 1854 को डाक विभाग की स्थापना हुई थी। उस वक्त ये महज पत्र को भेजने का माध्यम था मगर आज डाकविभाग बैंकिंग, बीमा, पासपोर्ट, रेल टिकट, आधार आदि बनवाने की सुविधा भी दे रहा है। वहीं लॉकडाउन के दौरान तो डाकविभाग ने दवाएं, पीपीईकिट,सैनिटाइजर को भी लोगों तक पहुंचाया।

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इस तरह जनता के बीच रिटेल सेवाओं को उपलब्ध कराने वाला साधन बन गया। बावजूद इसके विभाग अपने मूल वजूद डाक वितरण की सेवाओं को भी मजबूती देता रहा। डाक विभाग से जुड़े यादगार पल- भारतीय डाक विभाग के ऐतिहासिक बातों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। लार्ड डलहौजी द्वारा एक अक्टूबर 1854 को डाक विभाग को एक महानिदेशक एलपीएबी रिडेल के अधीन लाना। राष्ट्रीय स्तर पर पहली बार एक अक्टूबर, 1854 को डाक-टिकट जारी करना।  हालांकि इससे पहले 1852 में डाक टिकट जारी करके भारत एशिया में डाक टिकट जारी करने वाला प्रथम राष्ट्र बना था, मगर वह मात्र सिंध प्रांत के लिए था। डाक टिकट के परिचय के साथ ही बिना दूरी का ध्यान रखे 'एक समान डाक दर" को लागू करना। 'अखिल भारतीय डाक सेवा" का गठन। सर्वप्रथम 'लेटर बाक्स" की स्थापना। पोस्टमास्टर जनरल को जीपीओ के कार्यक्षेत्र से मुक्त कर जीपीओ की स्वतंत्र स्थापना। आईटी मॉर्डनेइजेशन प्रोजेक्ट के माध्यम से डाक सेवाओं को प्रौद्योगिकी संपन्न, मार्केट लीडर में तब्दील करने के लिए विभाग का तत्पर रहना। इसके द्वारा डाकघरों में कोर बैंकिंग, कोर इंश्योरेंस व कोर सिस्टम इंटीग्रेशन लागू किया गया है। दूरस्थ और अंतिम छोर तक डाकघरों में प्रौद्योगिकी के लाभ पहुंचा कर शहरी व ग्रामीण के बीच अंतर को कम किया जाना महत्वपूर्ण कार्य है।

वाराणसी परिक्षेत्र के ऑनलाइन खाते

ऑनलाइन प्लेटफार्म पर वाराणसी परिक्षेत्र के बचत खातों की कुल संख्या 36 लाख है।  सुकन्या समृद्धि योजना के खातों की संख्या एक  लाख 68 हजार है।  इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक के खातों की संख्या लगभग तीन लाख है।

वाराणसी परिक्षेत्र के कुल डाकघर

1699 डाकघर हैं। इनमें छह प्रधान डाकघर, 268 उप डाकघर और 1425 शाखा डाकघर हैं

स्मारक डाक टिकटों की परंपरा

डाक विभाग प्रति वर्ष लगभग 60  स्मारक डाक टिकट जारी करता है। यह सभी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय विषयों पर आधारित होते हैं। जो  लिमिटेड एडिशन में होते हैं। वक्त के साथ इनकी कीमत बढ़ती जाती है।

डाक विभाग ने समय के साथ खुद को अपेडट रखा

डाक विभाग ने समय के साथ खुद को अपेडट रखा। बदलते वक्त के साथ डाक विभाग का प्रारूप भी बदला है।  डाक विभाग सिर्फ चिट्ठी वितरित करने का काम नहीं करता है बल्कि, उसका कार्य क्षेत्र और व्यापक हो चुका है। अब कारपोरेट डाक और बिजनेस डाक का दौर है।

-कृष्ण कुमार यादव, पोस्टमास्टर जनरल, वाराणसी परिक्षेत्र।


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