पुण्यतिथि पर बीएचयू के संस्थापक महामना पं. मदन मोहन मालवीय को लोगों ने किया नमन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता और संस्थापक महामना पं. मदन मोहन मालवीय की पुण्यतिथि पर काशी ने उनको नमन कर उनके योगदान को याद किया। बीएचयू में उनकी पुण्यतिथि पर उनकी बीएचयू में तीन स्थानों पर लगी उनकी प्रतिमा पर लोगाें ने माल्यार्पण किया।
वाराणसी, जेएनएन। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के प्रणेता और संस्थापक महामना पं. मदन मोहन मालवीय की पुण्यतिथि पर काशी ने उनको नमन कर उनके योगदान को याद किया। वहीं मंगलवार की सुबह से ही सोशल मीडिया पर बीएचयू के बाहर लगी उनकी प्रतिमा का एक चित्र वायरल हो गया। इस तस्वीर के माध्यम से काशी के लोगों ने ही नहीं बल्कि महामना के योगदान को याद रखने वालों ने भी उनको पुण्यतिथि के मौके पर श्रद्धांजलि देकर उनके व्यक्तित्व और उनके महान कार्यों को याद किया।
वहीं महामना की बगिया बीएचयू में उनकी पुण्यतिथि पर उनकी बीएचयू में तीन स्थानों पर लगी उनकी प्रतिमा पर लोगाें ने माल्यार्पण किया। महामना की हालांकि पुण्यतिथि के मौके पर हिंदू तिथि के अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष चतुर्थी के अनुसार इस बार 16 नवंबर को सुबह मालवीय भवन सभागार में प्रतिमा पर मार्ल्यापण, पुष्पांजलि, शांति पाठ, गीता पाठ और दो मिनट का मौन रखा जाएगा।
पं. महामना मदन मोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर 1861 को हुआ था वहीं 12 नवंबर 1946 को देहावसान हुआ था। काशी हिंदू विश्वविद्यालय के वह प्रणेता तो थे ही साथ ही देश में शिक्षा के लिए सर्वविद्या की राजधानी काशी में ज्ञान का दीपक जलाने के लिए भी लोग उनको याद करते हैं। भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति के तौर पर भी लोग उन्हें याद करते हैं जिनको महामना की सम्मानजनक उपाधि दी गई।
पत्रकारिता के साथ ही वकालत और समाज सुधार व शिक्षा के साथ ही देश की सेवा में अपना जीवन बिताने वाले महामानव महामना ने काशी में जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो विश्व भर में भारत का गौरव गान कर सकें। महामना की यह उपलब्धि रही है कि बीएचयू से निकले तमाम छात्रों ने देश विदेश के शीर्ष संस्थानों में अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई है। देश के प्रति उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने 24 दिसम्बर 2014 को उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न के सम्मान से अलंकृत किया था।