सपने में आई मरी मां ने दिया आदेश, बेटा साइकिल से 1200 किमी दूर दर्शन करने पहुंचा वाराणसी
संबैया और उनके दो साथियों को यह यात्रा पूरी करने में 14 दिन लगे। संबैया की मां अपने जीवन काल में 20 बार काशी आ चुकी थीं। संबैया की मां गौजुला गंगम्मा ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, वाराणसी: तेलंगाना के जगतियाल जिले के संबैया (53 वर्ष) ने सपने में आई मरी हुई मां की बात मानी और करीब 1200 किमी दूर वाराणसी दर्शन करने आ गए।
इससे भी विभोर करने वाली बात यह है कि उन्होंने यह यात्रा साइकिल से पूरी की। संबैया और उनके दो साथियों को यह यात्रा पूरी करने में 14 दिन लगे। उनकी मां अपने जीवन काल में 20 बार काशी आ चुकी थीं। जगतियाल जिले के दामनापेट गांव के संबैया की मां गौजुला गंगम्मा फरवरी में अंतिम बार काशी आई थीं। उसी दौरान उनका देहावसान वाराणसी के राजेंद्र प्रसाद घाट पर हो गया था।
मां ने दिया दर्शन का आदेश
मां का अंतिम संस्कार मणिकर्णिका घाट पर किया गया। मां की याद में संबैया और उनके साथी राजेंद्र प्रसाद घाट पर ही रुके हैं। निधन के कुछ समय बाद मां संबैया के सपने में आईं और काशी दर्शन का आदेश दिया। सपने में मिले मां के आदेश के बाद उन्होंने रास्ते की जरूरत का कुछ सामान रखा और अपने एक मित्र व गांव के युवक के साथ 25 मई को 1200 किमी लंबी यात्रा के लिए निकल पड़े।
उन्होंने मनौती मानी थी कि यह यात्रा वो साइकिल से पूरी करेंगे। इस यात्रा में उनकी मदद प्रयागराज में रह रहे उनके पुत्र ने की। उसने गूगल मैप की सहायता से उनको रास्ता देखने का तरीका बताया। अदीलाबाद, नागपुर, रीवा और मीरजापुर होते हुए वो लोग बनारस पहुंचे।
दोस्ती भी है कमाल
मित्र को मनाने में भी उनको कोई खास दिक्कत नहीं हुई। उन्होंने मां के आदेश की बात सुनी तो फिर कोई सवाल नहीं किया। आज के समय में ऐसी दोस्ती भी विरल है। संबैया जगतियाल में अपने खर्च पर एक गोशाला चलाते हैं।
उनका एक मित्र अन्नी रेड्डी राजा रेड्डी किसान है और साथ आने वाला गांव का युवा साई कुमार संबैया के गोशाला में काम करता है। दोनों ने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की कि उनके काम का क्या होगा या वो सइकिल से इतनी लंबी यात्रा कैसे पूरी करेंगे।

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