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    वाराणसी में महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर आधा घंटा रुका शवदाह, लकड़ी रखने के विवाद में डोम राजा परिवार के लोग पहुंचे चौक थाने

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Sun, 04 Sep 2022 08:10 PM (IST)

    डोम राजा परिवार के विश्वनाथ चौधरी ने बताया कि रविवार को हम लोग श्मशान पर चिता लगवाने गए थे। इस बीच श्मशान की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों ने परिवार की राजमाता व हम सभी के साथ गाली गलौज की। विरोध करने पर अंजाम बुरा होने की धमकी दी।

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    मणिकर्णिका घाट पर रविवार की शाम डोम राजा परिवार के लोगों ने एक बार फिर शवदाह रोक दिया।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। मणिकर्णिका घाट पर रविवार की शाम डोम राजा परिवार के लोगों ने एक बार फिर शवदाह रोक दिया। उन्होंने चौक थाने पहुंचकर श्मशान की जमीन पर जबरदस्ती लकड़ी रखने का आरोप लगाया। कहा कि विरोध करने पर जानमाल की धमकी दी जा रही है।

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    थाना प्रभारी शिवाकांत मिश्रा ने सभी को समझा बुझाकर शांत कराया। उन्होंने आश्वासन दिया कि सोमवार को श्मशान की जमीन से अवैध कब्जा हटा दिया जाएगा। इसके लिए नगर निगम के सहयोग से जमीन का मालिकाना हक भी निर्धारित किया जाएगा। पुलिस के आश्वासन पर करीब आधा घंटा बाद शवदाह दोबारा शुरू हुआ।

    डोम राजा परिवार के विश्वनाथ चौधरी ने बताया कि रविवार को हम लोग श्मशान पर चिता लगवाने गए थे। इस बीच श्मशान की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों ने परिवार की राजमाता व हम सभी के साथ गाली गलौज की। विरोध करने पर अंजाम बुरा होने की धमकी दी। मनबढ़ों के आतंक से परेशान होकर वे चौक थाने आए हैं। थाना प्रभारी ने कहा कि मौके पर जाकर अवैध कब्जा हटवाएंगे।

    एसीपी दशाश्वमेध अवधेश पांडेय ने कहा कि थोड़ी देर के लिए शवदाह रुका था। पुलिस ने दोनों पक्षों की बात सुनकर शवदाह शुरू करा दिया है। शिकायत की जांच की पुलिस नियमानुसार कार्रवाई करेगी। बता दें कि डोम राजा परिवार ने अगस्त के पहले सप्ताह में भी मनबढ़ों से त्रस्त होकर शवदाह रोक दिया था। थाना प्रभारी ने मौके पर जाकर सभी को आश्वस्त किया था कि अब डोम राजा परिवार को परेशानी नहीं होगी। उनके आश्वासन पर माहौल सामान्य हुआ।

    मणिकर्णिका घाट का प्राचीन महत्‍व : मणिकर्णिका घाट वाराणसी में गंगानदी के तट पर स्थित एक प्रसिद्ध घाट है। एक मान्यता के अनुसार माता पार्वती जी का कर्ण फूल यहां एक कुंड में गिर गया था, जिसे ढूढने का काम भगवान शंकर जी द्वारा किया गया, जिस कारण इस स्थान का नाम मणिकर्णिका पड़ गया।