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'ज्वर हरति' से कोरोना के इलाज का दावा, कोरोना वायरस के जैविक प्रोटीन को निष्क्रिय करने में कारगर

बीएचयू के वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रो. शशि पांडेय ने दावा किया है शोध में ज्वर हरति या वर्म वुड के यौगिक कोरोना वायरस के जैविक प्रोटीन को निष्क्रिय करने में सक्षम पाए गए है।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Sun, 05 Jul 2020 12:17 AM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 01:07 PM (IST)
'ज्वर हरति' से कोरोना के इलाज का दावा, कोरोना वायरस के जैविक प्रोटीन को निष्क्रिय करने में कारगर
'ज्वर हरति' से कोरोना के इलाज का दावा, कोरोना वायरस के जैविक प्रोटीन को निष्क्रिय करने में कारगर

वाराणसी, जेएनएन। कोविड-19 के इलाज की संभावनाओं को तलाशने के क्रम में बीएचयू के वनस्पति विज्ञान विभाग की प्रो. शशि पांडेय को बड़ी कामयाबी मिली है। दावा किया जा रहा कि शोध में आर्टेमिसिया अनुआ (ज्वर हरति या वर्म वुड) के यौगिक कोरोना वायरस के जैविक प्रोटीन को निष्क्रिय करने में सक्षम पाए गए हैं। अब तक के शोध व अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका वायरस डिजीज में प्रकाशन के लिए भेजे गए हैं।

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बीएचयू स्थित वनस्पति विज्ञान विभाग में गत 15 वर्ष से मलेरिया को लेकर 'ज्वर हरति' पर शोध किया जा रहा है। कोरोना काल में प्रो. शशि पांडेय के नेतृत्व में ज्वर हरति के जैव सक्रिय यौगिकों की कोविड -19 के उपचार की संभावनाएं तलाशी गईं। प्रयोगशाला में कंप्यूटर सिम्युलेशन (इन सिलिकों) द्वारा इसके यौगिकों को कोराना वायरस के सिक्वेंस में उपस्थित मुख्य प्रोटीन कोडिंग रीजन को टारगेट करने दिया गया। इससे पता चला कि यह वायरस के विभिन्न ओपेन रीडिंग फ्रेम (ओआरए) से बंधकर उसके जैविक प्रोटीन को पूरी तरह से निष्क्रिय करने में सक्षम हैं। यह वायरस के विशेष प्रोटीन पर असर डालता है, जो वायरस और मनुष्य के संपर्क के लिए जिम्मेदार हैं। इसके साथ ही यह आरएनए डेपेंडेंट, आरएनए पॉलीमरेज अथवा प्रोटेनेस एंजाइम से भी संपर्क स्थापित कर वायरस के रेप्लीकेशन (प्रतिकृति) को रोकता है। अब तक के अध्ययन में मिले परिणाम को शोध पत्रिका 'वायरस डिजीज' में प्रकाशन के लिए दो माह पहले भेजा गया था, जिसकी प्रक्रिया चल रही है।

आर्टेमिसिया की हर्बल चाय के भी लाभकारी होने का दावा

वहीं मैक्स प्लांक इंस्टीट्यूट-जर्मनी के निदेशक प्रोफेसर पीटर सीबरगर ने भी हाल ही में (जुलाई 2020) में आर्टेमिसिया की हर्बल चाय को कोविड-19 के उपचार में लाभकारी होने का दावा किया है।

शोध अब भी जारी है

इस विषय पर शोध अब भी जारी है। शोध कार्य के प्रकाशन के बाद इसे एंटी वायरल ड्रग के तौर पर टी-बैग या हर्बल टैबलेट के रूप में विकसित करने के लिए विवि प्रशासन से बात चल रही है।

- प्रो. शशि पांडेय, वनस्पति विज्ञान विभाग-बीएचयू।


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