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    चैत्र नवरात्र 2021 : अश्व पर मां दुर्गा का होगा आगमन, मानव कंधे पर गमन

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Thu, 01 Apr 2021 01:07 PM (IST)

    चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं। इनका समापन 22 अप्रैल को होगा। इस नवरात्र मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है। जबकि प्रस्थान मनुष्य वाहन से होगा। मंगलवार से संवत्सर का आरंभ होने के कारण इस वर्ष के राजा मंगल होंगे।

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    चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं।

    वाराणसी, जेएनएन। हिंदु धर्म के पावन पर्वों में से एक नवरात्र भी है। चैत्र माह की शुरुआत हो चुकी है और कुछ ही दिनों में चैत्र माह की नवरात्र भी शुरू होने वाली है। यह पर्व पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक 9 दिनों तक चलने वाला यह पर्व मां दुर्गा को समॢपत होता है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना के साथ ही व्रत भी किए जाते हैं। एक वर्ष में बार नवरात्र आती हैं। इनमें से दो गुप्त नवरात्र होती हैं तो 2 सार्वजनिक। चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं। इनका समापन 22 अप्रैल को होगा। इस नवरात्र मां दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है। जबकि प्रस्थान मनुष्य वाहन से होगा।

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    इस वर्ष के राजा होंगे मंगल

    ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष बसंत ऋतु वासंतीक नवरात्र सनातन धर्म में व्रत पर्व के निर्धारण का आधार स्तंभ चंद्र संवत्सर ही होता है। इस वर्ष यह 13 अप्रैल मंगल से प्रारंभ हो रहा है। ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा से की थी। मंगलवार से संवत्सर का आरंभ होने के कारण इस वर्ष के राजा मंगल होंगे। चैत्र नवरात्र वासंतीक नवरात्र भी इसी के साथ शुरू हो रहा है। कलश स्थापन प्रात काल 5:28 से लेकर दिन में 8:46 तक है। जबकि अभिजीत मुहूर्त का समय 11:36 से 12:24 के बीच का समय होगा।

    बनी रहेगी भय एवं युद्ध की स्थिति

    मंगलवार के दिन चैत्र नवरात्र का आरंभ होने से मां दुर्गा देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है, जो राष्ट्र के लिए शुभ कारक नहीं है, राष्ट्र में भय एवं युद्ध की स्थिति बनी रहेगी, लेकिन नवरात्रि में 9 दिन देवी की अर्चना पूजन से देवी प्रसन्न होंगी। जबकि देवी की विदाई विजयदशमी दिन गुरुवार को 22 अप्रैल को होगा। गुरुवार को विजयदशमी होने से मनुष्य वाहन से देवी जाएंगी जो राष्ट्र के लिए सुख समृद्धि  कारक होगा।

    चैत्र नवरात्र घटस्थापना मुहूर्त

    -13 अप्रैल को सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 8 बजकर 46 मिनट तक

    -अभिजीत मुहूर्त का समय 11:36 से 12:00 बज कर 24 मिनट के बीच होगा

    -कलश स्थापना के लिए उत्तम मुहूर्त

    19 अप्रैल सोमवार को सायं 6:45 से भवानी अन्नपूर्णा परिक्रमा प्रारंभ तथा मध्य रात्रि निशिथकाल रात्रि 11:37 से रात्रि 12:23 तक

    -अष्टमी योग में महानिशा पूजा होगी, विशेष महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी में संभव है।

    -मध्य रात्रि में निशीथकाल का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।

    -20 अप्रैल मंगलवार को सूर्योदय से स्पर्श शुद्ध अष्टमी में महाअष्टमी व्रत होगा तथा रात्रि 7:00 बज कर 7 मिनट को अन्नपूर्णा परिक्रमा समाप्त होगी।

    -21 को महानवमी के साथ रामनवमी मनाई जाएगी।

    नवरात्र के नौ दिन में किसकी पूजा से क्या मिलता है लाभ बता रही शास्त्री मीना तिवारी

    13 अप्रैल, मंगलवार: नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समॢपत है। इस दिन कलश स्थापना यानी घटस्थापना की जाती है। मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति पर मां का आशीर्वाद बना रहता है।

    14 अप्रैल, बुधवार : नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समॢपत है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है।

    15 अप्रैल, गुरुवार : नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समॢपत है। इनकी पूजा करने से वाणी मधुर होती है।

    16 अप्रैल, शुक्रवार : नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समॢपत है।इनकी पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं और आयु और यश में वृद्धि होती है।

    17 अप्रैल, शनिवार : नवरात्र का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समॢपत है। इनकी पूजा करने से मोक्ष के द्वारा खुल जाते हैं।

    18 अप्रैल, रविवार : नवरात्र का छठा दिन मां कात्यायनी को समॢपत होता है. इनकी पूजा करने से दुश्मन निर्बल हो जाते हैं।

    19 अप्रैल, सोमवार : नवरात्र का सातवां दिन मां कालरात्रि को समॢपत होता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

    20 अप्रैल, मंगलवार : नवरात्र का आठवां दिन मां महागौरी को समॢपत होता है। इनकी पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और सुखों में वृद्धि होती है।

    21 अप्रैल, बुधवार : नवरात्र का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति को समस्त नव-निधियों की प्राप्ति होती है।

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