बैंकों के कैश वैन की नहीं है कोई सुरक्षा, करेंसी चेस्ट से रुपये निकालकर ले जाते वक्त मानक का नहीं रखा जाता ध्यान
जनपद के बैंकों के करेंसी चेस्ट से कैश लेकर चलने वाले कैश वैन की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है। ...और पढ़ें

आजमगढ़, जेएनएन। जनपद के बैंकों के करेंसी चेस्ट से कैश लेकर चलने वाले कैश वैन की सुरक्षा भगवान भरोसे चल रही है। सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर करेंसी चेस्ट से कैश लेकर वैन बेधड़क होकर सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं। सुरक्षा मानकों की अनदेखी के कारण जनपद में कभी भी कैश वैन से लूट की बड़ी वारदात हो सकती है।
कई जिलों में कैश वैन से हुई लूट की घटनाओं के बाद भी जिले के बैंक अधिकारी सुरक्षा को लेकर गंभीर नहीं हैं, जिससे पुलिस के लिए कैश वैन की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। बैंकों के चेस्ट से कैश लेकर आने-जाने के लिए एजेेंसी को ठेका दिया गया है। एजेंसी संचालकों द्वारा कैश वैन की सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरती जा रही है। कैश वैन की सुरक्षा के लिए जो भी गार्ड तैनात किए गए हैं वे सुरक्षा गार्ड अप्रशिक्षित होते हैं। निजी र्किमयों के हाथों लाखों की नकदी का लेनदेन कभी भी बड़ी वारदात की वजह बन सकती है। लाखों की नकदी के स्थानांतरण को लेकर बैंक भी गंभीर नहीं हैं। एसपी की ओर से बैंकों को जारी किए गए एडवाइजरी के बाद भी कैश वैन की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
कैश वैन बदमाशों का आसान टारगेट
एसपी की मानें तो कैश वैन बदमाशों का आसान निशाना होते हैं। कैश को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने वाली एजेंसियां कहने के लिए तो हथियारबंद सुरक्षा गार्ड वैन में बैठा देती हैं लेकिन वक्त आने पर वह चौकस नहीं रहते हैं, जिससे बदमाशों के शिकार बन जाते हैं। कैश वैन के असुरक्षित होने का एक बड़ा कारण उनमें निजी र्किमयों की तैनाती भी है।
सुरक्षा में लापरवाही
पुलिस अधिकारी के अनुसार कई मामलों की जांच में सामने आया है कि कैश लाने व ले जाने वाली कई एजेंसियां अपने कर्मचारी का पुलिस सत्यापन नहीं कराती हैं। दस्तावेज के नाम पर कर्मचारी के पास केवल पहचान पत्र या ड्राइविंग लाइसेंस की कॉपी होती है। कुछ मामलों में पाया गया कि प्राइवेट नंबर की गाडिय़ों में ही कैश ले जाया जा रहा था, जबकि वाहन के चारों तरफ शीशों पर लोहे की ग्रिल, दरवाजे पर ताला लगा होना नहीं मिलता है।
बदमाशों का बन जाते हैं मोहरा
कई बार ऐसे लोगों को भी कैश वैन में भेज दिया जाता है, जिनका कैश से कोई लेना-देना नहीं होता है। पुलिस अधिकारी के अनुसार कैश वैन में तैनात कर्मचारियों का वेतन कम होता है। कई मामलों में यह भी देखने को मिला है कि रुपये के लालच में आकर वह बदमाशों का मोहरा बन जाते हैं।
एसपी ने कैश वैन की कराई जांच, मिली खामियां
एसपी के निर्देश पर पुलिस ने कैश वैनों की आकस्मिक चेकिंग कराई तो उक्त कैश वैन की सुरक्षा में घोर अनियमितता पाई गई। एसपी ने बताया कि चेङ्क्षकग में पाया गया कि एक कैश वैन से 40 लाख रुपये लेकर कस्टोडियन राहुल सिंह व गनर हरीश द्विवेदी चेस्ट से रुपये लेकर अलग-अलग एटीएम पर डालने के लिए जा रहे थे, जबकि दूसरे कैश वैन से 9 लाख रुपये लेकर कस्टोडियन वीरेंद्र यादव व गनर हवालद सिंह एक निजी बैंक की लाहीडीह शाखा जा रहा था। इस तरह से अन्य कैश वैनों में भी सुरक्षा को लेकर काफी खामियां पाई गईं।
इस बारे में पुलिस अधिक्षक प्रो. त्रिवेणी सिंह ने कहा कि कैश वैनों की सुरक्षा को लेकर पाई गईं खामियों पायी गयी। सुरक्षा एजेंसी से लेकर संबंधित बैंक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का निर्देश दिया गया है। प्रत्येक कैश वैन पर सुरक्षा की दृष्टि से चालक के अलावा दो कस्टोडियन व दो गनर होने चाहिए। एलवल स्थित यूबीआइ के चेस्ट आफिसर विभा सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि प्रत्येक कैश वैन में सुरक्षा के लिए कुल 5 र्किमयों का नियम है। सुरक्षा आफिसर दिनकर मिश्र समेत अन्य संबंधित अधिकारियों को तलब कर उनसे जवाब मांगा गया है। सुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही पर आरबीआइ से लेकर बैंक के उच्चाधिकारियों को भी पत्र भेजा जा रहा है।

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