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    Varanasi में खुशियों से फूला फूलों का कारोबार, मांग ने कराई घाटे की भरपाई

    By saurabh chakravartiEdited By:
    Updated: Fri, 04 Dec 2020 09:35 AM (IST)

    कोरोना के कारण 22 मार्च से लगे लाकडाउन के चलते फूलों का बाजार बेजार हो गया था। फूल की खेती करने वाले किसानों के सामने भुखमरी जैसी स्थित उत्पन्न हो गई थी। कुछ किसानों ने तो अपने खेतों से फूल के पौधों को नष्ट भी कर दिया।

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    वाराणसी, मलदहिया स्थित फूल मंडी में खरीदारी करते लोग।

    वाराणसी, जेएनएन। कोरोना के कारण 22 मार्च से लगे लाकडाउन के चलते फूलों का बाजार बेजार हो गया था। फूल की खेती करने वाले किसानों के सामने भुखमरी जैसी स्थित उत्पन्न हो गई थी। कुछ किसानों ने तो अपने खेतों से फूल के पौधों को नष्ट भी कर दिया। आठ माह बाद 25 नवंबर से शुरू हुई लग्न तो एक बार फिर फूल की खेती करने वाले किसानों के चेहरे पर रौनक दिखने लगी। मंडी में फूल व्यवसायियों ने बताया कि लग्न के कारण बढ़ी मांग ने लाकडाउन के घाटे की भरपाई कर दी है। हालांकि फूल बाजारों के जानकारों का मानना है कि इस लग्न में फूलों के दाम अब तक के सबसे उच्चतम स्तर पर चल रहे हैं। चाहे बाहर आने वाले फूल हों या स्थानीय फूल सभी के बाजार का हाल एक जैसा है।

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    बेजार फूल का बाजार कार्तिक पूर्णिमा के दिन तो और भी खिल उठा। लग्न, पूर्णिमा स्नान, देवदीपावली व गुरु नानक जयंती के चलते फूलों की मांग बढ़ गई थी। उस दिन शहर की दोनों मंडियों मलदहिया और बांसफाटक के व्यवसाय का संयुक्त आंकड़ा पचास लाख के पार चला गया था, जबकि दिसंबर माह में अभी पांच लग्न बाकी हैं।

    मंडप और स्टेज सजाने के लिए अब स्थानीय फूलों की हो रही मांग

    प्रधानमंत्री के लोकल फार वोकल को मानते हुए लोग अब स्थानीय फूल जैसे गेंदा और गुलाब की खूब मांग कर रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक कोलकाता के फूलों की खूब मांग होती थी। व्यवसायियों ने बताया कि इस लग्न में ग्राहकों की मांग में परिवर्तन दिख रहा है। पहले बाहरी फूलों से मंडप सजाया जाता था, जबकि इस लग्न में बहुत से लोग गेंदा और देसी गुलाब से मंडप सजवा रहे हैं। इस समय बाहरी फूलों की खपत केवल बुके बनाने में ही हो रही है।

    जैसे-जैसे ढल रहा दिन वैसे-वैसे खिल रहा भाव

    मलदहिया और बांसफाटक मंडी में गुरुवार को भी फूलों का भाव खिला रहा। इंग्लिशिया लाइन स्थित पूर्वांचल की सबसे बड़ी माला मंडी में शाम तक कारोबार आठ लाख तक पहुंच गया था। मंडी में सबसे ज्यादा मांग गेंदे के माला की थी। सुबह मंडी खुलते ही 300 रुपये सैकड़े की दर से गेंदे के माला की बिक्री शुरू हुई। जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे भाव भी चढ़ता गया। दोपहर तक गेंदे के माला का भाव 800 रुपये सैकड़े तक पहुंच गया। वहीं बांसफाटक फूलमंडी में शाम तक करीब छह लाख रुपये का कारोबार हुआ।

    जयमाला के लिए बाहरी फूलों की जबरदस्त मांग

    मलदहिया फूल मंडी में कारोबारी जय सिंह ने बताया कि इस समय देसी गुलाब, रजनीगंधा और गेंदे के फूल की खूब आवक है। इसके अलावा कोलकाता से कुंद, आर्किड, स्टीक फूल की आवक हो रही है। हालांकि वर्तमान भाव दीपावली के बाजार के आस-पास ही चल रहा है। वहीं जयमाल के लिए कुंद, गुलदाउदी, रजनीगंधा और गुलाब के फूलों से बने जयमाला की बाजार में खूब मांग है। जिसकी कीमत एक से पांच हजार रुपये तक है।

    वर्तमान में मंडी में फूलों की कीमतें

    गुलाब          500-600 (प्रति सैकड़ा)

    गेंदा             600-700 (प्रति सैकड़ा)

    रजनीगंधा     700-800 (प्रति सैकड़ा)

    कुंद              700-800 (प्रति सैकड़ा)

    जरबेरा          80-100 (प्रति बंडल)

    घोड़ा पत्ता     100-120 (प्रति बंडल)

    आर्किड           500-600 (प्रति 10 पीस)

    स्टीक             80-100 (प्रति बंडल)

    गुलदाउदी        200-300 (प्रति सैकड़ा)

    स्टार              80-90 (प्रति बंडल)

    जयमाल की माला  (एक से पांच हजार रुपये तक)

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