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    पुस्‍तक समीक्षा : विश्‍वनाथन आनंद की 'माइंड मास्टर', शतरंज के साधक की अनोखी कहानी

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Sun, 06 Mar 2022 11:30 AM (IST)

    Book Review माइंड मास्टर कहानी है शतरंज के देश में शिखर पुरुष विश्‍वनाथ आनंद की। यह किताब मूलत अंग्रेजी में विश्‍वनाथ आनंद और सूजन नैनन द्वारा लिखी गई है। पुस्‍तक में शतरंज के साधक की अनोखी दास्‍तान को लिपिबद्ध किया गया है।

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    शतरंज के साधक और शतरंज के मास्‍टर विश्‍वनाथन आनंद द्वारा आत्‍मकथा जारी की गई है।

    अजय कुमार राय : पिछले दिनों भारत के युवा ग्रैंडमास्टर आर प्रगनानंदा ने एक शतरंज टूर्नामेंट में विश्व के नंबर एक खिलाड़ी नार्वे के मैगनस कार्लसन को हराया तो देश-दुनिया में सनसनी फैल गई। सबके मन- मस्तिष्क में यही सवाल था कि क्या शतरंज जगत को भारत की सरजमीं से एक दूसरा विश्वनाथन आनंद मिलने जा रहा है?

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    जी हां, भारत के पहले ग्रैैंड मास्टर और शतरंज की दुनिया में पश्चिम खासकर तत्कालीन सोवियत संघ के खिलाड़‍ियों-गैरी कास्पारोव, व्लादिमीर क्रैमनिक, वेसेलिन टोपालोव के वर्चस्व को तोडऩे वाले विश्वनाथन आनंद। देश में शतरंज को घर-घर पहुंचाने में विश्वनाथन आनंद के करिश्माई खेल की भूमिका रही है, लेकिन एक प्रभावशाली खिलाड़ी से विश्व चैैंपियन बनने की उनकी यात्रा इतनी आसान नहीं थी। अपनी आत्मकथा 'माइंड मास्टर' में उन्होंने इसकी विस्तृत चर्चा की है। इस पुस्तक को विश्वनाथन आनंद और खेल पत्रकार सूजन नैनन ने मूलत: अंग्रेजी में लिखा है। हिंदी में इसका अनुवाद रंजना सहाय ने किया है।

    विश्वनाथन आनंद उर्फ 'विशी' ने छह साल की उम्र में ही चेसबोर्ड पर मोहरों को चलाना सीख लिया था। उनकी पहली गुरु उनकी मां थीं। उनके बताए रास्तों पर चलते हुए वह वल्र्ड नंबर एक बने। उन्होंने विश्व चैंपियन के पांच खिताब अपने नाम किए और इस खेल के सभी प्रारूपों की प्रतियोगिताओं को जीता। 'माइंड मास्टर' में विशी ने अब तक खेले गए मुकाबलों, विरोधियों से निपटने और परिस्थितियों पर काबू पाने के दिनों को याद किया है। ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताई हैैं, जिनसे पाठक को जीवन की चुनौतियों को पार करने में मदद मिलेगी।

    पाठकों को यह पुस्तक यह जानने के लिए पढऩी चाहिए कि किसी लक्ष्य को प्राप्त करने में तरकीबों और रणनीतियों की क्या भूमिका होती है? हर रोज अपनी गलतियों को डायरी में लिखते जाने से क्या लाभ होता है? मुश्किल परिस्थितियों में भावनाओं को अपने पक्ष में कैसे कर सकते हैं? अपनी सुखद स्थिति को छोड़ हम जब जोखिम उठाने निकलते हैं, तब कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए? तेजी से बदलते हालात के बीच प्रासंगिक बने रहने के लिए क्या करना चाहिए? क्या भूलना सच में सीखने का एकमात्र तरीका है?

    पुस्तक : माइंड मास्टर

    लेखक : विश्वनाथन आनंद एवं सूजन नैनन

    प्रकाशक : प्रभात प्रकाशन

    मूल्य : 700 रुपये