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    बात सेहत की : आयुर्वेद करेगा कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम, शरीर में होनी चाहिए निश्‍चित मात्रा

    By Vandana SinghEdited By:
    Updated: Wed, 08 May 2019 07:18 PM (IST)

    कोलेस्ट्रॉल शरीर में पाये जाने वाले वसा का एक प्रकार होता है जो हार्मोंस के निर्माण शरीर में कोशिकाओं को स्वस्थ और ठीक रखने का काम करता है । ...और पढ़ें

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    बात सेहत की : आयुर्वेद करेगा कोलेस्ट्रॉल के खतरे को कम, शरीर में होनी चाहिए निश्‍चित मात्रा

    वाराणसी, [वंदना सिंह]। कोलेस्ट्रॉल शरीर में पाये जाने वाले वसा का एक प्रकार होता है जो हार्मोंस के निर्माण, शरीर में कोशिकाओं को स्वस्थ और ठीक रखने का काम करता है । आसान शब्दों में कहा जाए तो कॉलेस्ट्रॉल शरीर की कोशिकाओं को एनर्जी देता है, शरीर और उसकी कोशिकाओं के लिए ढांचागत सुविधाएं तैयार करने का काम करता है, और शरीर में बहुत से एंजाइम्स बनाने में भी मदद करता है। इतना जरूरी होने के बावजूद क्या आपको पता है इस कोलेस्ट्रोल की मात्रा अधिक हो जाए तो बहुत से बीमारियों को जन्म देती है। इसकी मात्रा ज्यादा होने पर आपको कई समस्याओं जैसे खून का गाढ़ा होना, आर्टरी ब्लॉकेज, स्टोक्स, हार्ट अटैक और दिल की अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में इन बीमारियों से बचने के लिए कोलेस्ट्रॉल का सामान्य होना बहुत जरूरी है।

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    एलोपैथी में इसके लिए बहुत सी दवाएं उपलब्ध है लेकिन बहुत से शोध में ये प्रमाणित हुआ है की ये दवाएं मधुमेह जैसी कई बीमारियो को उत्पन्न करती है। ऐसे में आपके पास सबसे बेहतर विकल्प है आयुर्वेद की औषधियां जो इलाज़ भी करती है और कोई दुष्प्रभाव भी नही होता है। ऐसे में आज चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ अजय कुमार बताएंगे कि शरीर में कोलेस्ट्रॉल की कितनी मात्रा होनी चाहिए और इसे कंट्रोल करने के लिए आपको क्या करना चाहिए।

    क्या सभी कोलेस्ट्रॉल होते है नुकसानदेह

    शरीर में दो तरह के कोलेस्ट्रॉल होते हैं:

    1.गुड कोलेस्ट्रॉल

    2. बैड कोलेस्ट्रॉल

    गुड कोलेस्ट्रॉल में हाई डेनसिटी प्रोटीन और बैड कोलेस्ट्रॉल में लो डेनसिटी प्रोटीन होते हैं। इन सबकी निश्चित मात्रा ही शरीर के लिए अच्छी होती हैं। इनके अलावा कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स भी पाए जाते है। शरीर में नार्मल कोलेस्ट्रॉल की मात्रा (200 mg/dL या इससे कम) होनी चाहिए। बॉर्डर लाइन कोलेस्ट्रॉल (200 से 239 mg/dL) के बीच और हाई कोलेस्ट्रॉल (240mg/dL) होना चाहिए। गुड कोलेस्ट्रॉल  यानी HDL, कोलेस्ट्रॉल को कोशिकाओं से वापस लीवर में ले जाता है। लीवर में जाकर यह या तो टूट जाता है या फिर व्यर्थ पदार्थों के साथ शरीर के बाहर निकाल जाता है जिससे यह कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक को रोकता है। डायबिटीज, हाइपरटेंशन, किडनी डिजीज, लीवर डिजीज और हाइपर थाइरॉयडिज्म से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक पाया जाता है।

    इन लक्षणों से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का पता चलता है

    खराब दिनचर्या, अधिक वसायुक्त ख़ानपान, एक्सरसाइज न करने वालों और ज्यादा तनाव में रहने वालों में कॉलेस्ट्रॉल बढ़ जाता है। जब कॉलेस्ट्रॉल थोड़ा बढ़ा रहता है तो कोई लक्षण नही दिखते है लेकिन जब अधिक बढ़ जाता है तो निम्न लक्षण दिखाई देते है-

    1. वजन बढ़ने और मोटापा की समस्या होने लगती है।

    2. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने लगती है।

    3. शुगर और दिल की बीमारियां होने का जोखिम बढ़ जाता है।

    4. असामान्य कॉलेस्ट्रॉल वोले लोगों को हार्ट अटैक, लकवा, और नपुंसकता आदि की समस्या होने की संभावना अधिक होती है ।

    5. थकान, सीढियां चढने पर सांस और दिल की धड़कन ज्यादा बढ़ जाती है।

    6. चलने पर पैरों में दर्द जैसी समस्याएं होती है।

     

    कोलेस्ट्रॉल कम करने के उपाय

    1. डाइट में मौसमी फल, फाइबर युक्त पदार्थ और हरी सब्जियों को अधिक से अधिक शामिल करें।

     2. मक्खन, घी, आइसक्रीम, चॉकलेट और मिठाई से परहेज करना चाहिए।

     3. नाश्ते में कॉर्नफ्लैक्स और ओट्स के बने चीजों का सेवन करना चाहिए।

     4. एक्सरसाइज यानी नियमित व्यायाम से कोलेस्ट्रॉल नियंत्रण में रहता है।

    5. दूध वाली चाय की बजाए ब्लैक या ग्रीन टी का सेवन करें। ब्लैक या ग्रीन टी का सेवन कोलेस्ट्रॉल स्तर को कंट्रोल में रखता है।

    6. कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ने पर रेड मीट का सेवन न करें।

    7. दूध, बटर, घी, क्रीम और आइस्क्रीम जैसे पदार्थ, जिनमें भारी मात्रा मेें कोलेस्ट्रॉल होता है, खाने से बचें।

    8. धूम्रपान और एल्कोहल के सेवन से भी कोलेस्ट्रॉल स्तर बढ़ता है, इसलिए सिगरेट-शराब का सेवन न करें।

    कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए आयुर्वेदिक उपचार 

    कोलेस्ट्रॉल के इलाज के लिए आयुर्वेद में बहुत सी दवाएं उपलब्ध है जिनके नियमित सेवन से कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण पाया जा सकता है।

    1. आरोग्यवर्द्धिनी वटी, पुनर्नवा मंडूर, त्रिफला, और अर्जुन की छाल के चूर्ण के सेवन से लाभ मिलता है।

    2. अलसी के बीज पीसकर उन्हें पानी से खाली पेट लेंने से यह उच्च कॉलेस्ट्रॉल वाले लोगों के लिए काफी फायदेमंद होता है।

    3. मेदोहर वटी व नवक गुगल वटी गुनगुने पानी से लेंने से लाभ मिलता है।

    4. लहसुन रक्त में उच्च कोलेस्ट्रॉल के प्रभाव को पूरी तरह से नियंत्रित करते हैं।

    5. त्रिकटु  कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है।

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