Bhupen Hazarika Birth Anniversary : विश्वयुद्ध से तंग आकर भूपेन हजारिका आए थे BHU की शरण में
वर्ष 1942 में बीएचयू से राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने आए डा. भूपेन हजारिकाशास्त्रीय संगीत गजल शायरी व उर्दू भाषा सीखने में लगे रहे।
वाराणसी [हिमांशु अस्थाना]। वर्ष 1942 में बीएचयू से राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करने आए डा. भूपेन हजारिका (जन्म: 8 सितंबर 1926 सादिया (असम), देहांत: 5 नवंबर 2011 मुंबई (महाराष्ट्र) शास्त्रीय संगीत, गजल, शायरी व उर्दू भाषा सीखने में लगे रहे। बनारस में शास्त्रीय संगीत की संगत उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, कंठे महराज और अनोखेलाल से मिली। इसके बाद डा. हजारिका ने इस गायन विधा का उपयोग अपने असमिया गानों में किया। शोधगंगा पर उपलब्ध गुवाहाटी विश्वविद्यालय के एक शोध से पता चलता है कि बनारस ही वह स्थान था, जिसने हजारिका को पूरी तरह से संगीत की ओर मोड़ दिया। यही नहीं बीएचयू में रहते हुए वह डा. राधाकृष्णन, मालवीय जी और आचार्य कृपलानी, नरेंद्र देव, श्यामा प्रसाद मुखर्जी के दर्शन व विचारों से इतना प्रेरित हुए कि उनके संगीत में दर्शन व वैचारिक संघर्ष प्रभावी रहा। 'ओ गंगा बहती हो क्यों गीत से भी यही संघर्ष प्रतीत होता है। हालांकि, उनके बीएचयू आने का कारण कुछ और ही था। दरअसल द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पूर्वोत्तर भारत में शिक्षा व रहन-सहन दूभर हो चला था। अध्ययन के लिए उचित माहौल नहीं रह गया था, इससे तंग आकर स्नातक व परास्नातक कराने को भूपेन हजारिका के पिता नीलकंठ हजारिका ने उन्हें 1942 में बीएचयू भेज दिया।
बीएचयू से शिक्षाविद या अधिकारी नहीं, स्वतंत्रता सेनानी होते थे तैयार
भूपेन ने बचपन में अपने पिता से सुन रखा था कि बीएचयू में पढऩे वाले मेधावी, शिक्षाविद या प्रशासनिक अधिकारी नहीं, बल्कि राष्ट्रीय नेता और स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी बनते हैं। बीएचयू के छात्रावास में रहने के दौरान उनकी यह सोच सत्य भी साबित हुईं। उन्हें यहां शिक्षा व संगीत संग अबुल कलाम आजाद, कृपलानी व नेहरू जैसे राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर के नेताओं के पास रहकर देश सेवा की प्रेरणा मिली।
डा. राधाकृष्णन ने कहा, सबसे युवा छात्र हैं हजारिका
शोध से मिली जानकारी के अनुसार हजारिका ने 1946 में मात्र बीस वर्ष की आयु में ही राजनीति शास्त्र में एमए उतीर्ण कर लिया था। जिसका जिक्र करते हुए डा. राधाकृष्णन ने एक एकेडमिक कार्यक्रम में कहा था कि हजारिका इस पाठ्यक्रम के सबसे युवा छात्र हैं। वे कहने को बीएचयू में राजनीति शास्त्र के छात्र थे, मगर उनका अधिकतर समय संगीत मंच कला संकाय में संगीत विधा सीखते बीतता था। 1946 के बाद असम में रेडियो से जुड़़े भूपेन छह माह बाद पीएचडी करने अमेरिका चले गए।
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