Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बीएचयू के छात्र सुमित मिश्रा की फ‍िल्‍म 'अगम' ने बनाई अंतरराष्‍ट्रीय पहचान, सिनेमा घरों में रिलीज

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 04 Feb 2022 03:41 PM (IST)

    Film Agam Released खांटी बनारस के परिवेश पर बनी इस फ‍िल्म में जीवन मृत्यु और संभोग जैसे विषयों को गंभीरता पूर्वक उठाया गया है। इस फिल्म के निर्देशक और जाने माने आर्ट डायरेक्टर सुमित मिश्रा हैं जो कई चर्चित शार्ट फिल्में बना चुके हैं।

    Hero Image
    फिल्म के निर्देशक और जाने माने आर्ट डायरेक्टर सुमित मिश्रा हैं जो कई चर्चित शार्ट फिल्में बना चुके हैं।

    वाराणसी, इंटरनेट डेस्‍क। दुनिया भर के फ‍िल्म समारोहों में सफलता का झंडा गाड़ने वाली फ‍िल्म 'अगम' अब सिनेमाघरों में शुक्रवार को रिलीज हो गई है। फ‍िल्‍म की खासियत इसका खांटी बनारसीपन है। बनारस में बीएचयू के छात्र रहे सुमित मिश्रा द्वारा निर्देशित यह फ‍िल्‍म रिलीज से पूर्व ही चर्चा में आ गई थी। रिलीज होने के बाद फ‍िल्‍म के प्रदर्शन का जानकार इंतजार कर रहे हैं। बताते चलें कि यह फ‍िल्‍म रिलीज होने से पहले काइरो फ‍िल्‍म समारोह के अलावा दर्जन भर से अधिक समारोहों में सराही जा चुकी है। अब शुक्रवार से यह फ‍िल्‍म सिने पर्दे पर दिखाई जा रही है।   

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बनारस के परिवेश पर बनी इस फ‍िल्म में जीवन मृत्यु और संभोग जैसे विषयों को गंभीरता से उठाया गया है। इस फिल्म के निर्देशक और जाने माने आर्ट डायरेक्टर सुमित मिश्रा हैं जो इससे पहले कई चर्चित शार्ट फिल्में बना चुके हैं। अगम के बारे में बात करते हुए सुमित मिश्रा ने बताया की फिल्म पूरी तरह से बनारस के दर्शन पर आधारित है। जीवन और मरण के चक्र को सिनेमाई माध्यम से बखूबी उकेरने का प्रयास किया गया है।

    जागरण को बताया कि यह फिल्म काइरो इंटनेरशनल फिल्म फेस्टिवल समेत दुनियाभर के एक दर्जन से ज्यादा फिल्म समारोहों में सराही जा चुकी है। इस फिल्म में लूडो जैसी फिल्म में काम कर चुके राहुल बग्गा, तारा अलीशा बेरी और अश्मित कुंदर जैसे मंझे हुए कलाकार हैं। सुमित मिश्रा ने बताया कि उन्‍होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई की है। बनारस से उनका खास लगाव भी है और बनारस के साथ बनारसी पन को भी काफी करीब से देखा और समझा है। सुमित ने बताया कि वाराणसी के घाट और गंगा उन्हें विशेष रूप से आकर्षित करते रहे हैं। एक तरफ़ वाराणसी शहर की चहल पहल है दूसरी तरह घाटों पर जल रही चिताएं हैं। यही बनारस और जीवन का असली दर्शन है जो फिल्म के माध्यम से दिखाने का प्रयास है।