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    बनारस और मथुरा के बीच अब बकरी को लेकर ठनी रार, बीएचयू के प्रोफेसर ने द‍िया धरना

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 01:28 PM (IST)

    बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर सुनील कुमार ने मथुरा में बकरी अनुसंधान केंद्र खोलने के विरोध में भेलूपुर स्थित गुरुधाम चौराहे पर धरना दिया। उनकी चिंता थी कि यह केंद्र बकरियों के लिए अनुचित होगा और स्थानीय किसानों को नुकसान पहुंचाएगा। पुलिस के समझाने पर उन्होंने धरना समाप्त कर दिया।

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    मांगें पूरी न होने पर इसे फिर से शुरू करने की चेतावनी दी।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर के र‍व‍िवार को सुबह मथुरा में बकरी को लेकर केंद्र खोलने पर आपत्‍त‍ि जताते हुए धरना शुरू कर द‍िया गया। बीएचयू के असिस्टेंट प्रोफेसर डाक्टर सुनील कुमार ने रविवार की सुबह नौ बजे भेलूपुर स्थित गुरुधाम चौराहे पर नंदी गोलंबर के पास धरने पर बैठने का निर्णय लिया।

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    उनकी मुख्य मांग थी कि मथुरा में खोले जा रहे बकरी अनुसंधान केंद्र को बंद किया जाए। यह धरना अचानक शुरू हुआ और इसके पीछे डाक्टर सुनील कुमार की चिंता थी कि यह केंद्र पूर्वांचल क्षेत्र के ल‍िहाज से बकरियों की आर्थ‍िकी और यहां के क‍िसानों के लिए अनुच‍ित साब‍ित हो सकता है।

    धरने की सूचना मिलने पर थाना प्रभारी सुधीर त्रिपाठी और दुर्गाकुंड चौकी प्रभारी विकास मिश्र मौके पर पहुंचे। उन्होंने डाक्टर सुनील कुमार को समझाया कि यह स्थान धरने के लिए उपयुक्त नहीं है और उन्हें यहां धरना नहीं देना चाहिए। अधिकारियों ने उन्हें यह भी बताया कि धरना देने के लिए उचित स्थान निर्धारित किया गया है। इसके बावजूद, डाक्टर सुनील कुमार ने अपनी मांगों को लेकर धरना जारी रखा।

    प्रोफेसर सुनील कुमार ने कहा कि बकरी अनुसंधान केंद्र का उद्देश्य बकरियों की नस्ल सुधारना है, लेकिन इसके संचालन से स्थानीय बकरियों पर प्रभाव पड़ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह केंद्र स्थानीय किसानों के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। उनका मानना है कि इस केंद्र के कारण पूर्वांचल में बकरियों की स्‍थ‍ित‍ि को लेकर दुश्‍वारी भी हो सकती है, जिससे स्थानीय क‍िसानों की आर्थ‍िकी काफी हद तक प्रभावित होगी।

    धरने के दौरान, डाक्टर सुनील कुमार ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि वह इस मुद्दे को लेकर गंभीर हैं और उन्होंने स्थानीय लोगों से भी समर्थन मांगा। उन्होंने कहा कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वह आगे भी धरना जारी रखेंगे। हालांकि, कुछ समय बाद, पुलिस अधिकारियों की समझाइश के बाद उन्होंने धरना समाप्त करने का निर्णय लिया।

    इस घटना ने स्थानीय समुदाय में चर्चा का विषय बना दिया है। कई लोग डाक्टर सुनील कुमार के समर्थन में आए हैं, जबकि कुछ ने उनके धरने को अनावश्यक बताया। इस मामले में आगे की कार्रवाई के लिए स्थानीय प्रशासन ने स्थिति पर नजर रखने का आश्वासन दिया है। बीएचयू के प्रोफेसर का यह धरना न केवल एक व्यक्तिगत मांग का प्रतिनिधित्व करता है, बल्कि यह स्थानीय मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने का भी एक प्रयास है। आगे देखना होगा कि क्या प्रशासन इस मुद्दे पर कोई ठोस कदम उठाता है या नहीं।