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    प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों की बीएचयू बना रहा सूची, शिकायतों को लेकर गंभीर हो गया विश्वविद्यालय प्रशासन

    By pramod kumarEdited By: Saurabh Chakravarty
    Updated: Sun, 25 Sep 2022 08:28 PM (IST)

    चिकित्सा विज्ञान संस्थान बीएचयू के प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों पर शिकंजा कसेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे डाक्टरों की सूची बना रहा है ताकि कड़े कदम उठाए जा सकें। हालांकि शहर में निजी प्रैक्टिस कर रहे बीएचयू के डाक्टरों की सूची जिला प्रशासन पहले ही विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप चुका है।

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    चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों पर शिकंजा कसेगा।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी : पूर्वांचल का एम्स कहे जाने वाले चिकित्सा विज्ञान संस्थान, बीएचयू के प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डाक्टरों पर शिकंजा कसेगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे डाक्टरों की सूची बना रहा है ताकि कड़े कदम उठाए जा सकें। हालांकि शहर में निजी प्रैक्टिस कर रहे बीएचयू के डाक्टरों की सूची जिला प्रशासन पहले ही विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप चुका है।

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    बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल व ट्रामा सेंटर में पूर्वांचल के साथ ही बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों के मरीज आते हैं। इन अस्पतालों में बेहतर अनुभव वाले हर विभाग के चिकित्सकों की भरमार है। यहां के चिकित्सकों को सरकार की ओर से एनपीए (नान प्रैक्टिस एलाउंस) दिया जाता है ताकि चिकित्सक संस्थान में आने वाले मरीजों का ही उपचार करें। बावजूद इसके कुछ ही ऐसे चिकित्सक है जो अपने आवास या बाहर के अन्य अस्पतालों में प्रैक्टिस कर रहे हैं।

    कुलपति के स्तर पर डाक्टरों की सूची तैयार की जा रही है

    जिला प्रशासन की ओर से पहले दी गई सूची पर तो विश्वविद्यालय प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन अब परिस्थितियां बदली हैं। बताया जा रहा है कि कुलपति के स्तर पर ऐसे डाक्टरों की सूची तैयार की जा रही है। कार्यकारी परिषद गठित होते ही कार्रवाई शुरू हो सकती है। इसमें जनरल मेडिसिन, जिरियाट्रिक मेडिसिन, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग, जरनल सर्जरी, गैस्ट्रोएंट्रोलाजी, कैंसर आदि विभागों के एक दर्जन से अधिक नामी डाक्टर हैं।

    चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी प्रोफेसरों को एनपीए भी मिलता है

    कई ऐसे भी हैं जो बाहर मरीज देखते हैं और आपरेशन के लिए बीएचयू की सुविधाओं का उपयोग करते हैं। इसमें कुछ अधिकारी स्तर के भी चिकित्सक शामिल हैं। बीएचयू के पीआरओ डा. राजेश सिंह के अनुसार चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े सभी प्रोफेसरों को एनपीए भी मिलता है। ऐसे में वे प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। इस मामले में मिली शिकायतों पर विश्वविद्यालय प्रशासन गंभीर है।