अमेरिकी टैरिफ से भदोही का कालीन उद्योग संकट में, कालीन मेले पर टिकी उम्मीदें
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाने से कालीन उद्योग गंभीर संकट में है। निर्यातकों को भारी नुकसान हो रहा है गोदामों में माल डंप है और कई कंपनियों के शटर बंद हो चुके हैं। निर्यातकों की उम्मीदें अब 11 अक्टूबर से शुरू होने वाले कालीन मेले पर टिकी हैं।

जागरण संवाददाता, भदोही। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने के बाद कालीन उद्योग की स्थिति गंभीर हो गई है। इस निर्णय के परिणामस्वरूप, उद्योग का पहिया लगभग थम सा गया है। कुछ कंपनियाँ भले ही सीमित मात्रा में उत्पादन कर रही हैं, लेकिन अधिकांश कंपनियों के शटर बंद हो चुके हैं। बुनकरों और मजदूरों के समक्ष एक गंभीर संकट उत्पन्न हो गया है।
सात अगस्त को 25 प्रतिशत टैरिफ लागू होने के बाद, निर्यातकों ने घाटा सहते हुए 21 अगस्त तक लगभग एक हजार करोड़ रुपये के माल का शिपमेंट किया था। इसके बावजूद, निर्यातक प्रतिष्ठानों के गोदामों में 500 करोड़ रुपये से अधिक का माल डंप हो गया है। इस स्थिति ने उद्योग के समक्ष कई चुनौतियाँ खड़ी कर दी हैं।
वर्तमान हालात को देखते हुए, न तो टैरिफ में कमी की कोई संभावना है और न ही सरकार से किसी प्रकार का सहयोग मिल रहा है। ऐसे में निर्यातकों की उम्मीदें अब 11 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे कालीन मेले पर टिकी हुई हैं। यदि यह मेला सफल रहता है, तो उद्योग का पहिया पुनः गति पकड़ सकता है, अन्यथा संकट से उबरना अत्यंत कठिन हो जाएगा।
कालीन उद्योग भदोही का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है, बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी प्रदान करता है। इस उद्योग की स्थिति में सुधार के लिए निर्यातकों ने सरकार से कई बार सहायता की मांग की है, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
उद्योग के विशेषज्ञों का मानना है कि यदि टैरिफ में कमी नहीं आती है, तो आने वाले समय में कई कंपनियों को बंद होना पड़ सकता है, जिससे बुनकरों और मजदूरों की आजीविका पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।
इस संकट के बीच, कालीन मेला एक महत्वपूर्ण अवसर के रूप में उभर रहा है। उद्योग के लोग इस मेले से उम्मीद कर रहे हैं कि इससे न केवल बिक्री में वृद्धि होगी, बल्कि उद्योग की छवि को भी एक नई दिशा मिलेगी।
इस प्रकार, भदोही का कालीन उद्योग वर्तमान में एक कठिन दौर से गुजर रहा है, लेकिन मेले की सफलता से इसे पुनर्जीवित करने की संभावनाएँ बनी हुई हैं। उद्योग के सभी stakeholders को इस अवसर का लाभ उठाने के लिए एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। उम्मीद है कि आने वाले दिनों में स्थिति में सुधार होगा और कालीन उद्योग फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो सकेगा।
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