बनारस में सस्ते होंगे फ्लैट, हर किसी के लिए अपने घर का सपना होगा साकार Varanasi news
योगी सरकार ने विकास शुल्क कम करने का निर्णय लिया और व्यावसायिक संग आवासीय भवन का नक्शा पास कराने पर शुल्क काफी कम कर दिया। ...और पढ़ें

वाराणसी, जेएनएन। हर व्यक्ति का सपना होता है अपना घर हो, लेकिन महंगे फ्लैट के चलते उनका सपना पूरा नहीं हो पा रहा था। ऐसे में योगी सरकार ने विकास शुल्क कम करने का निर्णय लिया और व्यावसायिक संग आवासीय भवन का नक्शा पास कराने पर शुल्क काफी कम कर दिया। इससे लोग नक्शा पास कराने में रुचि भी दिखाएंगे जिससे अवैध निर्माण पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। वहीं, शहर के बिल्डरों ने भी फ्लैट का रेट कम करने का निर्णय लिया है। वाराणसी बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई) ने फ्लैट रेट में प्रति स्क्वायर फीट 150 से 200 रुपये कम करने का ऐलान किया है।
नक्शा पास कराने के विकास शुल्क संग बिल्डिंग मैटेरियल की कीमत बढ़ने पर बिल्डर फ्लैट का रेट बढ़ाते गए। स्थिति यह हो गई कि बनारस में फ्लैट के रेट लखनऊ और नोएडा के बराबर तक पहुंच गए जबकि सुविधाएं वैसी नहीं है। योगी सरकार ने सस्ते फ्लैट उपलब्ध कराने की बात रखी तो बिल्डरों ने नक्शा पास कराने के दौरान विकास शुल्क अधिक होने की बात रखी। अन्य मैटेरियल कम रेट में उपलब्ध कराना सरकार के बस की बात नहीं थी, ऐसे में योगी सरकार ने भवन का नक्शा पास कराने में आने वाले विकास शुल्क को कम करने का निर्णय लिया।
- 45 के स्थान पर लगेंगे 30 हजार फिलहाल वीडीए प्रतिवर्ग मीटर 1100 रुपये विकास शुल्क लेता है, अन्य शुल्क अलग से है। उदाहरण के लिए जैसे 3000 वर्गफीट जमीन पर एक मंजिल नक्शा पास कराने में 45 हजार रुपये लगता था। अब उतनी ही जमीन पर 30 हजार रुपये लगेंगे। ऐसे में भवन स्वामी को 15 हजार रुपये की बचत होगी।
- फ्लैट का रेट अपार्टमेंट पर आने वाले पूरे खर्च को जोड़कर निकाला जाता है। नक्शा पास कराने के दौरान भवन का विकास शुल्क अधिक देना पड़ता था, ऐसे में रेट कम करना मुश्किल था। एसोशिएशन का एक प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री से मिलकर विकास शुल्क कम करने की मांग किया था जिसे सरकार ने मान लिया। इससे प्रति वर्ग फीट 150 से 200 रुपये कम करने का निर्णय लिया है। -अनुज डिडवानिया, अध्यक्ष वाराणसी बिल्डर्स एंड डेवलपर्स एसोसिएशन (क्रेडाई)
रिपोर्ट नहीं लगाने पर होगी जवाबदेही
-अवर अभियंता : 15 दिन
-सहायक नगर नियोजक : चार दिन
-नगर नियोजक: तीन दिन
-सचिव: दो दिन
-उपाध्यक्ष: तीन दिन
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