Rangbhari Ekadashi: मां पार्वती के गौना की तैयारियां शुरू, 19 को ससुराल पहुंचेंगे बाबा विश्वनाथ; फिर इस दिन मनेगी रंगभरी एकादशी
श्रीकाशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ मां का गौना कराने के लिए अपनी ससुराल यानी महंत निवास पहुंचेंगे। बुधवार को गौना के लोकाचार होंगे तो विदाई के साथ ही गौ ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, वाराणसी। Rangbhari Ekadashi: महाशिवरात्रि को विवाह के पश्चात अब मां पार्वती का गौना कराने बाबा विश्वनाथ ससुराल पहुंचेंगे। टेढ़ीनीम का महंत निवास, मां पार्वती के मायके (गौरा सदनिका) में बदल चुका है। वहां महंत परिवार की महिलाओं ने मां गौरा के तीन दिवसीय विशेष पूजन के साथ उनकी विदाई की तैयारी शनिवार से आरंभ कर दी हैं। अब सोमवार से मां की हल्दी की रस्म आरंभ होगी।
मंगलवार शाम को श्रीकाशी पुराधिपति बाबा विश्वनाथ मां का गौना कराने के लिए अपनी ससुराल यानी महंत निवास पहुंचेंगे। बुधवार को गौना के लोकाचार होंगे तो विदाई के साथ ही गौने का उल्लास रंगभरी एकादशी के रूप में छलक उठेगा। महंत निवास यानी गौरा के मायके में सुबह से ही छह दिवसीय उत्सव की तैयारी आरंभ हो गई थी। परिवार की बेटियां, बहुएं, बुआ, चाची व अन्य रिश्तेदार वहां पहुंच गए हैं।
शिवांजलि के संयोजक पूर्व महंत डा. कुलपति तिवारी के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने बताया कि दोपहर बाद मां गौरा की चल रजत प्रतिमा को स्नानादि कराकर महंत परिवार की महिलाओं ने दीक्षित मंत्र से तीन दिवसीय पूजन अनुष्ठान आरंभ किया।
तीन दिवसीय इस आंतरिक अनुष्ठान पूजा में मां गौरा का आह्वान, स्थापना, षोडशोपचार पूजन आदि होगा। इसके पश्चात तीसरे दिन सोमवार को हल्दी की रस्म होगी। सुहागिन महिलाएं मां गौरा को हल्दी व तेल लगाएंगी तथा लोकाचार के साथ मधुर मांगलिक गीतों से महंत निवास गूंज उठेगा।
शिवांजलि के सह-संयोजक संजीवरत्न मिश्र ने बताया कि मंगलवार की शाम को बाबा विश्वनाथ का ससुराल आगमन होगा। यहां उनका विधिवत स्वागत, पूजन-अर्चन किया जाएगा। तत्पश्चात बुधवार को सुबह से ही षोडशोपचार पूजन के साथ बाबा को दूल्हे तथा माता गौरा को दुल्हन के रूप में तैयार कर गौने के लोकाचार निभाए जाएंगे।
रंगभरी एकादशी से होली की मस्ती में डूब जाएगी काशी
20 मार्च बुधवार को बाबा मां गौरा की विदाई कराकर अपने धाम, यानी काशी विश्वनाथ मंदिर में वापस जाएंगे। इस परंपरा के साथ ही काशी में उत्सव आरंभ हो जाएगा। भक्त बाबा व मां गौरा को गुलाल लगाकर रंगोल्लास में डूब जाएंगे। फिर तो काशी में चहुंओर रंग ही रंग, गुलाल ही गुलाल दिखेगा। यह क्रम बुढ़वा मंगल तक चलता रहेगा।

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