आजमगढ़ जेल में बंदी के लाखों रुपये पार करने के मामले में जेलर पर गिरी गाज, विभागीय कार्रवाई शुरू
आजमगढ़ जिला कारागार में बंदियों और जेल कर्मियों की मिलीभगत से हुए धोखाधड़ी के मामले में जेलर और जेल अधीक्षक की लापरवाही उजागर हुई है। जांच में कई स्तर पर खामियां मिली हैं, जिसके बाद जेलर के खिलाफ चार्जशीट तैयार हो चुकी है और जेल अधीक्षक के खिलाफ भी रिपोर्ट भेजी गई है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।

जांच के दौरान कई स्तर पर मिली खामियां, कार्रवाई को मुख्यालय भेजी गई रिपोर्ट।
जागरण संवाददाता, आजमगढ़। जिला कारागार के बैंक खाते से दो बंदियों व जेल कर्मियों की मिलीभगत से 52.85 लाख की धोखाधड़ी मामले में जेलर और जेल अधीक्षक दोनों की लापरवाही उजागर हुई है। जेल डीआइजी शैलेंद्र कुमार मैत्रेय ने बताया कि अभी तक की जांच में जेल अधीक्षक और जेलर दोनों की कई स्तर पर खामियां व लापरवाही मिली है।
किसी भी सरकारी खाते से भुगतान के लिए कई चरणों की प्रक्रिया होती है। इस मामले में हर स्तर पर लापरवाही देखने को मिली है। प्रथम दृष्टया जो भी दोषी थे उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। अब आगे की जांच और कार्रवाई के लिए रिपोर्ट बना कर मुख्यालय भेज दिया गया है।
जेलर के खिलाफ चार्जशीट तैयार हो चुकी है, जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे। उसके तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं जेल अधीक्षक के खिलाफ भी रिपोर्ट बना कर भेजा गया है, जेल अधीक्षक पर शासन स्तर से कार्रवाई होगी जिसकी प्रक्रिया चल रही है।
जेल डीआइजी ने बताया कि अभी तक के जांच में जो बात सामने आई है, उसमें खाते से रुपये निकासी के लिए चेक पहले प्रभारी के पास जाता, उसके बाद जेलर फिर जेल अधीक्षक के पास पहुंचता है।इन प्रक्रिया की रजिस्टर पर लिखा पढ़ी भी होती। सभी स्तर पर खामियां मिला हैं, जो जांच के दायरे में हैं। उन्होंने बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करा दी गई है। पुलिस जांच कर रही है कि यह धोखाधड़ी है या मिली भगत है।
जेल का कांट्रेक्टर बन लगाता था चेक
केनरा बैंक के शाखा प्रबंधक शिवम श्रीवास्तव ने बताया कि बैंक में प्रतिदिन करोड़ों रुपये का ट्रांजिक्शन होता है, हर किसी की जांच तो संभव नहीं है। बैंक की तरफ से सिक्योरिटी के जो भी प्रक्रिया थी उसका पालन किया गया है। एहतियात के तौर पर बैंक की सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखवा लिया गया है।
कोई भी अधिकारी अपने बैंक का खाता डेढ़ साल तक चेक नहीं करे, बैंक से भेजे जा रहे संदेश को न देखे तो बैंक कैसे किसी पर संदेह करे। रामजीत ने बताया था कि वह जेल में टाइल्स लगाने का कार्य करता है, जिसके भुगतान के लिए वह चेक लगाता था। उसने हमेशा पांच लाख के नीचे के अमाउंट का चेक बैंक में लगाता था।
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इस मामले में जांच के दौरान जो भी साक्ष्य मिले थे उसे मुख्यालय को उपलब्ध करा दिया गया है। जेलर के खिलाफ मुख्यालय स्तर के जांच अधिकारी नियुक्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। वहीं जेल अधीक्षक के खिलाफ शासन से कार्रवाई शुरू हुई है कि नहीं अभी इसकी जानकारी नहीं है। - जेल डीआजी।
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