आयुष निदेशालय ने मांगा आयुर्वेदिक अस्पतालों में दवाओं की कमी का डेटा
आयुष निदेशालय ने राज्य के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों से दवाओं की कमी का डेटा मांगा है। इस कदम का उद्देश्य मरीजों को आवश्यक दवाएं उपलब्ध कराना है ताकि उन्हें इलाज में किसी भी प्रकार की बाधा का सामना न करना पड़े। निदेशालय ने अस्पतालों को तत्काल डेटा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है।

निदेशालय ने गूगल शीट के माध्यम से सभी अस्पतालों से स्टाक, खपत और कमी की सूची मंगवाई है।
जागरण संवाददाता, वाराणसी। काशी की प्राचीन आयुर्वेदिक धरोहर को मजबूत करने की दिशा में दैनिक जागरण के अभियान पर शासन ने ध्यान दिया है। मंडल के सरकारी आयुर्वेदिक अस्पतालों में कई महीनों से चली आ रही दवाओं की किल्लत का उत्तर प्रदेश आयुष निदेशालय ने संज्ञान लिया है।
निदेशालय ने जनपद के सभी 85 राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालयों से दवाओं का विस्तृत ब्योरा मांगा है। इस्टीमेट तैयार होते ही आवश्यक औषधियों की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी, जिससे शीघ्र ही दवाओं की कमी पूरी हो जाएगी। एक रुपये के पर्चे पर मरीजों को निश्शुल्क दवाएं मिलने लगेंगी।
जागरण ने 15 नवंबर के अंक में आयुर्वेदिक एवं यूनानी कार्यालय में दवाओं का स्टाक खत्म व 16 नवंबर के अंक में आयुर्वेदिक केंद्रों में दवाओं का संकट, मरीज निराश शीर्षक से खबरें प्रकाशित की थीं। वाराणसी मंडल (वाराणसी, भदोही, चंदौली) के अस्पतालों में जहां मानक के अनुसार 210 प्रकार से अधिक दवाओं की जरूरत है, वहीं पिछले कई महीनों से मात्र सात से 30 दवाओं से ही काम चल रहा था।
योगराज गुग्गुल, अश्वगंधा चूर्ण, दशमूलारिष्ट और सितोपलादि चूर्ण जैसी प्रमुख दवाएं नदारद होने से सैकड़ों ग्रामीण, बुजुर्ग व गरीब मरीज खाली हाथ लौट रहे हैं। कोरोना काल के बाद आइएमपीसीएल से अनियमित सप्लाई और लखनऊ निदेशालय से विलंब ने स्थिति को और गंभीर बना दिया, लेकिन अब निदेशालय ने गूगल शीट के माध्यम से सभी अस्पतालों से स्टाक, खपत और कमी की सूची मंगवाई है।


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