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    World Cancer Day 2022 : आयुर्वेदिक औषधियां भी हैं कैंसर के उपचार में कारगर, जानिए उपचार की विधि

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 03 Feb 2022 02:24 PM (IST)

    World Cancer Day 2022 कैंसर के इलाज में आयुर्वेद बहुत ही कारगर है जिनके प्रयोग से काफी लाभ मिलता है। आयुर्वेद क्षेत्र में कैंसर के उपचार के बारे में बता रहे हैं चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डा. अजय कुमार।

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    कैंसर के इलाज में आयुर्वेद बहुत ही कारगर है, जिनके प्रयोग से काफी लाभ मिलता है।

    वाराणसी [मुकेश श्रीवास्‍तव]। कैंसर एक ऐसा रोग है, जिसका नाम सुनते ही व्यक्ति को अपनी मृत्यु सामने दिखने लगती है। इस बीमारी में  में शरीर की कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से वृद्धि करने लगती है। यह रोग किसी भी उम्र में हो सकता है। यह एक साल के बच्चे से लेकर 80 साल के बुजुर्ग तक में पाया जा सकता है। कैंसर सामान्य रूप से स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, ब्रेन कैंसर, बोन कैंसर, ब्लैडर कैंसर, पेंक्रियाटिक कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, गर्भाशय कैंसर, किडनी कैंसर, लंग कैंसर, त्वचा कैंसर, स्टमक कैंसर, थायरॉड कैंसर, मुंह का कैंसर व गले का कैंसर प्रमुख है। कैंसर के इलाज में आयुर्वेद की कुछ औषधियां भी बहुत ही कारगर है, जिनके प्रयोग से काफी लाभ मिलता है। आयुर्वेद क्षेत्र में कैंसर के उपचार के बारे में बता रहे हैं चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डा. अजय कुमार।

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    डा. अजय बताते हैं कि कुछ लोगों के दिमाग में यह भ्रम है कि सिर्फ गुटखा, तम्बाकू व सिगरेट का सेवन करने वाले लोगों को ही कैंसर होता है, लेकिन ये पूरा सच नहीं है। इसके अलावा आज के समय में फास्ट फूड व उसमें इस्तेमाल किए जाने वाले तरह-तरह के केमिकल्स की वजह से कैंसर का खतरा अधिक बढ़ता है। इसके अलावा आज के समय में कैंसर की सबसे बड़ी वजह है प्लास्टिक का इस्तेमाल। किसी भी गरम चीज को प्लास्टिक की प्लेट या बॉक्स में रखने से और उसे खाने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एलोपैथी में इसके लिए केमोथेरेपी, सर्जरी या रेडियोथेरेपी की मदद से चिकित्सा की जाती है। एलोपैथी के साथ साथ आयुर्वेदिक इलाज भी इसको रोकने में मददगार साबित होता है।

    डा. अजय ने बताया कि उपलब्ध आंकड़ों की बात करें तो हर दिन औसतन 1300 से अधिक लोग इस डरावनी बीमारी के शिकार हो रहे हैं।  हर साल कैंसर के 10 लाख नए मामलों का निदान किया जा रहा है और 2035 तक हर वर्ष कैंसर के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बारह लाख तक बढ़ने की उम्मीद है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया के बाकी देशों के मुकाबले भारत में कैंसर रोग से प्रभावितों की दर कम होने के बावजूद यहां 15 प्रतिशत लोग कैंसर के शिकार होकर अपनी जान गंवा देते हैं। डब्ल्यूएचओ की सूची के मुताबिक 172 देशों की सूची में भारत का स्थान 155वां हैं। वर्तमान में कुल 24 लाख लोग इस बीमारी के शिकार है। फिलहाल भारत में यह प्रतिलाख 70.23 व्यक्ति है।

    पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर के मामले अधिक मिलते है : डा. अजय ने बताया की पुरुषों में सामान्य रूप से प्रोस्टेट कैंसर के केस ज्यादा आते है। प्रोस्टेट मूत्रमार्ग के चारों ओर स्थित एक छोटी ग्रंथि है जो ब्लैडर के ठीक नीचे मूत्र मार्ग को चारो ओर से घेरे रहती है। इसका सामन्यतः वजन 10 से 20 ग्राम तक होता है लेकिन बुढ़ापे में कुछ कारणों से इसका साइज और वजन बढ़ने  लगता है। अधिकांश मामलों में यह केवल बिनाइन होता है जिसे BPH कहते है लेकिन किसी किसी में यह कैंसर का रूप धारण कर लेता है।

    वृद्धावस्था में होने वाला यह कैंसर पहले पश्चिमी देशों तक सीमित था, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में भारत में भी इसके मामले बढ़े हैं। दुनियाभर में कैंसर के कारण होने वाली मौतों में प्रोस्टेट कैंसर का छठा स्थान है। प्रोस्टेट कैंसर के 70 प्रतिशत मामले 65 से अधिक उम्र के पुरुषों में देखे जाते हैं। इसके अलावा  पित्त की थैली के कैंसर से भी बहुत लोग ग्रसित पाए जाते पित्त की थैली के कैंसर से भी बहुत लोग ग्रसित पाए जाते है। इस कैंसर का मुख्य कारण गाल ब्लैडर में पथरी होता है । पित्त की थैली में पथरी होने पर उसे अनदेखा करना भारी पड़ सकता है। इस लापरवाही से आगे चलकर गॉल ब्लेडर कैंसर में तब्दील होने के जोखिम अधिक रहता है। लोग मोटे होते हैं या जिन्हें डायबिटीज की शिकायत होती है या फिर जो बुजुर्ग होते हैं, उनमें पित्त की थैली में पथरी और बाद में कैंसर के चांस ज्यादा होते हैं।

    कैंसर के लिए कुछ आयुर्वेदिक उपचार :

    -सदाबहार  : इसमें कैंसररोधी तत्व पाए जाते हैं।

    - टमाटर : इसमें कैंसररोधी बीटा कैरोटीन व लाइकोपीन तत्व पाए जाते हैं। एक शोध के अनुसार ज्यादा टमाटर खाने से प्रोस्टेट कैंसर का होने का खतरा लगभग 45 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

    - हरिद्रा : करक्यूमिन हल्दी में मुख्य रसायन है और कैंसर कोशिकाओं के विकास और प्रसार की रोकथाम में बहुत प्रभावी माना जाता है।

    - गुडूची  :  यह शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाती है जिससे कैंसर होने का खतरा कम होता है।

    - त्रिफला : इसमें आमलकी हरीतकी व विभीतक के चूर्ण होता है। इसमे पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट ट्यूमर और कैंसर की कोशिकाओं से लड़ने में भी बहुत प्रभावी है

    - इनके अलावा ताम्र सिंदूर, वज्र भस्म, लोकनाथ रस जैसी औषधियां वैद्य की देख रेख में प्रयोग करने से प्रोस्टेट कैंसर की रोकथाम की जा सकती है।

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