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    August Kranti : जौनपुर कलेक्ट्रेट में 12 अगस्त 1942 को ही उतारा गया था यूनियन जैक, छात्रों पर चली थी गोलियां

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Thu, 11 Aug 2022 06:34 PM (IST)

    आजादी के दीवाने क्रांतिकारी छात्रों की टोलियों के साथ 12 अगस्त 1942 को कलेक्ट्रेट को घेर लिया। वहां लगे यूनियन जैक को उतारने के बाद पहुंची अंग्रेजी सेना से भी भिड़ गए। इसी दौरान अंग्रेज कप्तान इमग्रेन घायल हो गया।

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    जौनपुर कलेक्ट्रेट परिसर में स्थित 12 अगस्त 1942 के छोड़ो आंदोलन का प्रतीक क्रांति स्तम्भ ।

    जागरण संवाददाता, जौनपुर : आजादी के दीवाने क्रांतिकारी छात्रों की टोलियों के साथ 12 अगस्त 1942 को कलेक्ट्रेट को घेर लिया। वहां लगे यूनियन जैक को उतारने के बाद पहुंची अंग्रेजी सेना से भी भिड़ गए। इसी दौरान अंग्रेज कप्तान इमग्रेन घायल हो गया। बौखलाए पुलिस अधीक्षक ने छात्रों पर गोली चलाने का आदेश दे दिया था। इसमें कई लोग घायल हो गए थे और उन्हें अंग्रेजों ने गिरफ्तार भी कर लिया। इस खौफनाक दिन की चर्चाएं आज भी आम है।

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    12 अगस्त 1942 को छात्रों की बैठक हुई और दो टोली बनाई गई। लगभग दो सौ छात्रों की टोली का नेतृत्व दिवाकर सिंह कर रहे थे, जबकि 150 छात्रों की अगुवाई हरिहर सिंह के जिम्मे था। सभी दोपहर दो बजे कलेक्ट्रेट पहुंचे और वहां लगे यूनियन जैक को उतार दिया। जानकारी होते ही पुलिस पहुंची तो झंडे को लेकर छात्रों से छीना-झपटी शुरू हो गई।

    इस दौरान हुए लाठीचार्ज में किसी ने पत्थर चलाया जो कप्तान एमग्रेन को लग गया, जिससे वह घायल हो गया। इसके बाद बौखलाए कप्तान ने गोली चलाने का आदेश दे दिया। इसमें दिवाकर, केदारनाथ सिंह, सूबेदार मिश्र, मोहम्मद उमर, केदार नाथ सिंह समेत तमाम लोग घायल हुए। जिन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 25 दिसंबर 1944 को जेल से छूटने के बाद दिवाकर सिंह को जनपद से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद विकास भवन के सामने क्रांति स्तंभ का निर्माण कराया गया। यहां हर साल 12 अगस्त के दिन सामाजिक संगठन के लोग और अधिकारी तिरंगा फहराते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

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