Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अतीक ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जेल से लड़ा था लोकसभा चुनाव, मिले थे 833 वोट

    By Jagran NewsEdited By: Abhishek Tiwari
    Updated: Sun, 16 Apr 2023 01:56 PM (IST)

    Varanasi News तीक अहमद वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था। उसे 833 मत मिले थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद था। उसने घोषणा की थी कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेगा।

    Hero Image
    अतीक ने प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ जेल से लड़ा था लोकसभा चुनाव

    अशोक सिंह, वाराणसी: अतीक अहमद वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ा था। उसे 833 मत मिले थे। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद था। उसने घोषणा की थी कि वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    उसके प्रतिनिधि ने वाराणसी आकर उसका नामांकन पत्र दाखिल कर दिया था। उसका मानना था कि बनारस के मिश्रित आबादी वाले इलाके में उसे अच्छा समर्थन मिलेगा। उसे उम्मीद थी कि कोई राजनीतिक दल भी उसे अपना समर्थक और सिंबल दे सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

    लोगों ने नहीं किया समर्थन

    चुनाव लड़ने के लिए अदालत से पेरोल भी नहीं मिल सका। हालांकि, इसके बाद अतीक चुनाव मैदान से हटाना चाहता था लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। उसका नामांकन पत्र वापस नहीं हो सकता था। बनारस के लोगों ने अतीक को समर्थक नहीं दिया।

    अतीक अहमद का संबंध न केवल उमेश पाल हत्याकांड से जुड़ा बल्कि चार दशक से वह आतंक का पर्याय बना हुआ था। उमेश पाल की हत्या के 49वें दिन अतीक और उसके भाई अशरफ का अंत हो गया। इसके ठीक तीन दिन पूर्व उसके बेटे और उमेश पाल के हत्यारे असद इनकाउंटर में मारा गया था।

    समय विपरीत हुआ, राजनीतिक संरक्षण का अंत हुआ तो माफिया अतीक के साम्राज्य के नेस्तनाबूद होने की राह बनती गई। संबंधी भी पुलिस की रडार पर आ गए। तूती बोलने वाले परिवार की बोली बंद हो गई। योगी सरकार के पहले कार्यकाल से ही अतीक के आर्थिक साम्राज्य को कमजोर करने का सिलसिला शुरू हुआ था। उसके बाद से ही उसका साम्राज्य ढहता गया।

    आज इसी का परिणाम है अतीक उसके भाई अशरफ और उसके गुर्गों की 1100 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हो चुका है। पत्नी शाइस्ता और बहन आयशा नूरी दर-दर भटक रही हैं। दो भांजी को भी मुकदमे में नामजद किया गया है। पत्नी पर 25 हजार का इनाम घोषित हो गया है। बेटा उमर लखनऊ जेल में है।

    देवरिया कांड में आरोप तय हो चुका है। पांच करोड़ की रंगदारी मामले में दूसरा बेटा अली अहमद सेंट्रल जेल नैनी में बंद है। हत्या के बाद से ही दो नाबालिग बेटे राजस्वरूपपुर स्थित बाल गृह में रखे गए हैं। अतीक का बहनोई डा. अखलाक शूटरों को पनाह देने के आरोप में जेल में बंद है। इतना ही नहीं उमेश पाल हत्या में शामिल अरबाज धूमनगंज में और विजय उर्फ उस्मान को ढेर किया जा चुका है। इस प्रकार से परिवार और और चार दशक में अवैध तरीके से अर्जित संपित्त का साम्राज्य ढह गया।