Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Gyanvapi Case: ज्ञानवापी में एक बार फिर हो सकता है एएसआइ सर्वे, हाईकोर्ट ने मस्जिद पक्ष की सभी याचिकाएं की खारिज

    By Jagran News Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Sun, 28 Jan 2024 06:06 AM (IST)

    स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के 1991 के मुकदमे में अदालत सर्वे का आदेश दे चुकी है। साथ ही 2018 के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद पक्ष की याचिकाएं हाई कोर्ट खारिज कर चुका है। ज्ञानवापी परिसर में एएसआइ का एक बार फिर सर्वे हो सकता है। पहले किए गए सर्वे में 50 से ज्यादा मूर्ति और शिवलिंग निकले थे। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर का मुकदमा कोर्ट में लंबित है।

    Hero Image
    ज्ञानवापी में एक बार फिर हो सकता है एएसआइ सर्वे

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। ज्ञानवापी परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) का एक बार फिर सर्वे हो सकता है। ज्ञानवापी में नए मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा-पाठ करने का अधिकार देने को लेकर स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से पं. सोमनाथ व्यास व अन्य द्वारा 15 अक्टूबर, 1991 को दाखिल मुकदमे में सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट एएसआइ सर्वे का आदेश पहले ही दे चुका है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाईकोर्ट ने मस्जिद पक्ष की सभी याचिकाएं कर दी खारिज

    हाई कोर्ट ने हाल ही में आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद पक्ष की याचिकाएं खारिज कर दी थीं। स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर का मुकदमा कोर्ट में लंबित है। इसमें कहा गया है कि विवादित स्थल विश्वेश्वर मंदिर का अंश है। हिंदुओं को उक्त स्थल पर पूजा-पाठ, दर्शन-पूजन एवं अन्य धार्मिक कार्य करने का अधिकार है।

    विवादित ढांचा के नीचे ज्योर्तिलिंग और उनका अर्घा विद्यमान

    विवादित ढांचा के नीचे ज्योर्तिलिंग और उनका अर्घा विद्यमान है। पं. सोमनाथ व्यास की सात मार्च, 2000 को मृत्यु के बाद मुकदमे में उनके स्थान पर पैरवी करने के लिए अदालत ने 11 अक्टूबर, 2018 को पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्त किया था।

    उन्होंने अयोध्या की तरह ज्ञानवापी परिसर एवं विवादित स्थल का भौतिक एवं पुरातात्ति्वक दृष्टि से एएसआइ सर्वे कराने की अदालत से अपील की थी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) फास्ट ट्रैक कोर्ट आशुतोष तिवारी ने आठ अप्रैल, 2021 को पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।

    इस आदेश के खिलाफ सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद की ओर से इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की गई थी। उनकी ओर से प्लेसेज आफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देते हुए मस्जिद पर किसी प्रकार के दावे और मामले की पोषणीयता पर सवाल खड़े किए गए थे।

    ज्ञानवापी में और सर्वे होना चाहिए

    हाई कोर्ट ने पिछले साल दिसंबर में उनकी अपील खारिज करते हुए मां श्रृंगार गौरी मुकदमे में दाखिल एएसआइ सर्वे रिपोर्ट की कापी अदालत और मुकदमे के वादमित्र रस्तोगी को सौंपने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट ने आदेश में कहा था कि सर्वे रिपोर्ट को पढ़ने के बाद वादमित्र को लगता है कि ज्ञानवापी में और सर्वे होना चाहिए तो निचली अदालत इसका आदेश दे सकती है।

    एक बार फिर सर्वे की मांग जरूर करेंगे

    इस बारे में रस्तोगी का कहना है कि श्रृंगार गौरी मुकदमे में ज्ञानवापी के आराजी संख्या 9130 में ही सर्वे हुआ है, जबकि उनके मुकदमे में इसके साथ आराजी संख्या 9131 और 9132 में भी सर्वे का आदेश है। यानी उनके मुकदमे में ज्ञानवापी के विस्तृत क्षेत्र के सर्वे का आदेश दिया गया है। इसलिए वह एक बार फिर सर्वे की मांग जरूर करेंगे।

    ज्ञानवापी में शिवलिंग और गणेश के साथ नंदी भी

    ज्ञानवापी की एएसआइ सर्वे रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है। ज्ञानवापी परिसर की दीवारें और अवशेष पर हिंदू धर्म से जुड़े कई शब्द व चित्र पूर्व में यहां मंदिर होने का साक्ष्य दे रही हैं। मार्बल व बलुआ पत्थर के कई शिवलिंग और नंदी संकेत दे रहे हैं कि यहां पूर्व में विधि- विधान से पूजा-पाठ होता रहा होगा। इसमें एक मार्बल का 2.5 सेमी लंबा, 3.5 सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का शिवलिंग सही स्थिति में मिला है।

    इसी प्रकार 8.5 सेमी लंबा, 5.5 सेमी ऊंची व 4 सेमी चौड़ा पत्थर का नंदी भी ठीक स्थिति में है। एएसआइ ने सर्वे रिपोर्ट में बकायदा इसका उल्लेख भी किया है। इसी प्रकार 21 सेमी ऊंची, छह सेमी चौड़ा बलुआ पत्थर का एक शिवलिंग के साथ बलुआ पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की 50 सेमी ऊंची, 30 सेमी चौड़ी मूर्ति व गणेश की 8.5 सेमी लंबी व 3.5 सेमी चौड़ी टेराकोटा पत्थर की मूर्ति की तस्वीर भी एएसआइ ने अपनी रिपोर्ट में जारी की है। इसी प्रकार एक बीम पर नागरी लिपि में लिखे 'कासी' को दर्शाया है। इसकी तस्वीर भी रिपोर्ट में जारी है।

    संस्कृत के ये शब्द लिखे मिले

    इसके अलावा अवशेष पर संस्कृत में लिखे शब्द श्रीमच्छा, पा भृगुवास, वद्विजातिश्च, आय अर्जानी, णरायै परोप, जातिभि: धर्मज्ञ: अंकित है। एएसआइ ने इसे 16वीं शताब्दी का अवशेष बताया है। एक दीवार पर संस्कृत में रुद्राद्या व श्रावना का उल्लेख है। संस्कृत में लिखे यह समस्त शब्द ज्ञानवापी परिसर के पुरातन इतिहास को दर्शा रही है।