सोनभद्र में परियोजनाओं के लिए ऐश डैम बड़ी समस्या, ओबरा सी और ओबरा डी के लिए ऐश डैम चुनौतीपूर्ण
एनजीटी के मानकों में किए गए परिवर्तन के कारण निर्माणाधीन 1320 मेगावाट की ओबरा सी एवं प्रस्तावित 1600 मेगावाट की ओबरा डी के लिए राह आसान नहीं रह गई है। ...और पढ़ें

सोनभद्र, जेएनएन। जिले में नई परियोजनाओं के लिए ऐश डैम अब चुनौती साबित हो रहे हैं। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित एनजीटी के मानकों में किए गए परिवर्तन के कारण निर्माणाधीन 1320 मेगावाट की ओबरा सी एवं प्रस्तावित 1600 मेगावाट की ओबरा डी के लिए राह आसान नहीं रह गई है। बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण के बीच एनजीटी के कड़े मापदंडों ने कोयला आधारित परियोजनाओं के लिए बड़ी लकीर खींच दी है। खासकर राख निस्तारण के लिए बनाये गए मापदंडों ने नई परियोजनाओं की स्थापना को काफी मुश्किल कर दिया है। ऐश पांड की उपलब्धता के बाद ही नई परियोजना की स्थापना को स्वीकृति मिलने के मापदंड ने ओबरा तापीय परियोजना के संभावित विस्तारीकरण को काफी मशक्कत भरा कर दिया है। कोयला आधारित बिजली पर देश की निर्भरता के कारण बढ़ते प्रदूषण के साथ राख के बढ़ते ढेर ने बड़ी समस्या पैदा की है। राख भंडारण के लिए जगह की कमी के साथ इसके गलत प्रभाव ने प्रदूषण के मानकों को काफी कड़ा करने को विवश किया है।
नया ऐश डैम बनाना है चुनौती
ओबरा सी के लिए पूर्व योजना के तहत रेणुका नदी के तटवर्ती सेक्टर तीन के हिस्से में ऐश डैम बनाना था, लेकिन एनजीटी के नियम के तहत नदी तट से 500 मीटर दूर ऐश डैम बनाने की बाध्यता ने काफी पेंच फंसाया है। निर्माणाधीन ओबरा सी के लिए फिलहाल पहले से मौजूद चकाड़ी ऐश डैम की क्षमता बढ़ाकर वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है, परन्तु भविष्य के लिहाज से नया ऐश डैम बनाना आवश्यक है। अगले कुछ वर्षों में ओबरा की 200 मेगावाट की पांच इकाइयों को बंद करने के केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण की योजना से सम्भावित राहत मिल सकती है लेकिन प्रस्तावित ओबरा डी के लिए ऐश डैम की उपलब्धता उसके पर्यावरण मंजूरी के लिए आवश्यक है। उत्पादन निगम द्वारा नये ऐश डैम के लिए भूमि अधिग्रहण का प्रयास चल रहा है लेकिन भूमि अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों के विरोध के कारण फिलहाल राह आसान नही लग रही है।
कुल 162 हेक्टेयर भूमि का होना है अधिग्रहण
ओबरा सी के ऐश डैम निर्माण के लिए पनारी ग्राम पंचायत के गुरुड में चल रहे भूमि अधिग्रहण को लेकर ग्रामीणों में रोष है। भूमि अधिग्रहण से लगभग 150 परिवार प्रभावित होंगे। गुरुड में प्रस्तावित ऐश डैम के लिए 124.76 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। जिसमें ग्रामीणों की 62.86 हेक्टेयर, वन विभाग की 39.5 एवं ग्राम समाज की 22.4 हेक्टेयर भूमि शामिल है। भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया के बीच पहले से चयनित भूमि के अलावा आसपास स्थित अतिरिक्त 37.28 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की भी योजना है। परियोजना प्रशासन ने ग्रामीणों की कुल अचल संपत्ति जिसमें घर सहित तमाम अन्य निर्माण भी शामिल है, उसके लिए 98.6 करोड़ का प्रस्ताव निगम प्रबंधन को भेजा है। हालांकि वर्तमान मुआवजा नीति के तहत जमीन के बदले नौकरियों का प्रावधान नही होने के कारण ग्रामीण अपनी जमीन देने में फिलहाल हिचक रहे है। जिसके कारण भूमि अधिग्रहण के लिए स्थिति अनुकूल नही दिख रही है। इसके अलावा चकाड़ी ऐश डैम तक पाइप लाइनों के माध्यम से राख ले जाने के लिए रेणुका नदी पर नया पुल बनाया जाना है।

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