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    रानी लक्ष्मीबाई के इतिहास लेखन में भी की गई मनमानी, बीएचयू में व्याख्यानमाला का आयोजन

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Thu, 30 Sep 2021 07:38 PM (IST)

    ‘आजादी का अमृत महोत्सव‘ के एक हिस्से के रूप में ‘वाराणसी इंस्टीट्यूट आफ हिस्ट्री‘ की ओर से आयोजित ‘भारतीय इतिहास की हिन्दू वीरांगनाएं‘ शीर्षक से प्रस्तावित व्याख्यानमाला की तृतीय कड़ी में गुरुवार को ’भारत का गौरव रानी लक्ष्मी बाई’ विषय पर वेबिनार हुआ।

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    वाराणसी इंस्टीट्यूट आफ हिस्ट्री‘ की ओर से ‘भारतीय इतिहास की हिन्दू वीरांगनाएं‘ शीर्षक से प्रस्तावित व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया।

    जागरण संवाददाता, वाराणसी। ‘आजादी का अमृत महोत्सव‘ के एक हिस्से के रूप में ‘वाराणसी इंस्टीट्यूट आफ हिस्ट्री‘ की ओर से आयोजित ‘भारतीय इतिहास की हिन्दू वीरांगनाएं‘ शीर्षक से प्रस्तावित व्याख्यानमाला की तृतीय कड़ी में गुरुवार को ’भारत का गौरव रानी लक्ष्मी बाई’ विषय पर वेबिनार हुआ। इसकी मुख्य वक्ता इतिहास विभाग, बीएचयू की इतिहासविद् डा. जयलक्ष्मी कौल ने अविनाशी काशी में जन्मीं मणिकणिर्का बाई अथार्त रानी लक्ष्मीबाई के व्यक्तित्व व कार्यों पर प्रकाश डाला। कहा कि अंग्रेजों ने भारत को केवल राजनीतिक व आथिर्क रूप से ही गुलाम नहीं बनाया था, बल्कि उससे भी ज्यादा खतरनाक एक गुलामी और थी। वह है बौद्धिक गुलामी, जिसकी जड़ों में थी 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश सरकार द्वारा लाई गई मैकाले की शिक्षा प्रणाली। इससे शायद आज तक हम उबर नहीं पाए हैं। इसका परिणाम ये हुआ कि बौद्धिक रूप से गुलाम बुद्धिजीवियों के द्वारा हमारे इतिहास व हमारे नायक-नायिकाओं की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जाता रहा। इस तरह का प्रयास रानी लक्ष्मीबाई के संबंध में किए गए इतिहास लेखन में भी किया गया है।

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    विषय पर आगे प्रकाश डालते हुए डा. कौल ने बहुत सारे प्राथमिक स्रोतों के आधार पर बताया कि रानी लक्ष्मी बाई 1857 के विद्रोह के केंद्र में थीं लेकिन वह केवल झांसी के लिए नहीं बल्कि भारत से अंग्रेजों के दमन के लिए संघर्ष कर रही थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान की संस्थापक निदेशक व बीएचयू में इमेरिटल प्रोफेसर डा. अरूणा सिन्हा ने की। उन्होंने कहा कि उपरोक्त कही गई बातों के संदर्भ में रानी लक्ष्मी बाई का व्यक्तित्व न केवल हमारे लिए जानकारी के नए आयामों को खोलता है, बल्कि इतिहास लेखन में की गई गलतियों को भी हमें सुधारने का मौका देता है। इस मौके पर डा. कुलदीप मिश्र, डा. कल्पना सिंह, बैजू, रोशन, मोहन आदि मौजूद रहे। संचालन रविकांत सिंह व धन्यवाद ज्ञापन अंगद कुमार ने किया।

     

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