वंडर फूड आंवला है गुणों से भरपूर, कई बीमारियों को जड़ से करता है समाप्त
आवला को वंडर फूड कहा जाता है, यानी इसके फल में ऐसे चमत्कारिक गुण हैं जो कई बीमारियों को जड़ से समाप्त करने की क्षमता रखते हैं।
वाराणसी (वंदना सिंह): आवला को वंडर फूड कहा जाता है, यानी कि इसके फल में ऐसे चमत्कारिक गुण हैं जो न सिर्फ हमारे शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाता है बल्कि कई बीमारियों को जड़ से भी खत्म करता है। यह विटामिन सी का सर्वोत्तम भंडार है। आवला अकेला ऐसा फल है जो अपने औषधिय गुणों के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। आयुर्वेद के ग्रंथो में इसे अमृता, अमृतफल, आमलकी, पंचरसा आदि नामों से जाना जाता है। चौकाघाट स्थित राजकीय स्नातकोत्तर आयुर्वेद महाविद्यालय एवं चिकित्सालय, वाराणसी के कायचिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के वैद्य डा. अजय कुमार बताते हैं कि आचार्य चरक ने इसे वय: स्थापक यानी शारीरिक अवनति को रोकने वाले द्रव्यों में सर्वश्रेष्ठ बताया है। अन्य प्राचीन आयुर्वेद के ग्रंथकारों ने इसे शिवा (कल्याणकारी), वयस्था (अवस्था को बनाए रखनेवाला) और धात्री (माता के समान रक्षा करनेवाला) कहा है। यह गुरु, रुक्ष, शीत, अम्ल रस प्रधान, लवण रस छोड़कर शेष पांचों रस वाला, विपाक में मधुर, रक्तपित्त व प्रमेह को दूर करने वाला, और रसायन है। आयुर्वेद के बृहत्रयी ग्रंथ चरक संहिता, सुश्रुत संहिता और अष्टाग हृदय सहित सभी ग्रंथो में आँवला के गुणों का विस्तृत वर्णन है। इन ग्रंथो के आधार पर आवला निम्न रोगों में लाभ पहुंचाता है।
यह अतिसार, प्रमेह, दाह, कंवल, अम्लपित्त, रक्तपित्त, अर्श, बद्धकोष्ठ, वीर्य को दृढ़ और आयु में वृद्धि करते हैं। इसे मेधा, स्मरणशक्ति, स्वास्थ्य, यौवन, तेज, काति और सर्वबलदायक औषधियों में इसे सर्वप्रधान कहा गया है। आंवला के पत्तों के क्वाथ से कुल्ला करने पर मुंह के छाले और क्षत नष्ट होते हैं। इसके सूखे फलों को पानी में रात भर भिगोकर उस पानी से आंख धोने से सूजन इत्यादि दूर होती है।
आवंला के सूखे फल खूनी अतिसार, आंव, बवासरी और रक्तपित्त में और लोहभस्म के साथ लेने पर पाडुरोग और अजीर्ण में लाभ मिलता है। आंवला के ताजे फल, उनका रस या इनसे तैयार किया शर्बत शीतल, मूत्रल, रेचक तथा अम्लपित्त को दूर करनेवाला कहा गया है।
आयुर्वेद के अनुसार यह फल पित्तशामक है और संधिवात में उपयोगी है। च्यवनप्राश, आंवले से तैयार एक विशिष्ट रसायन है। भिन्न-भिन्न अनुपानों के साथ भिन्न-भिन्न रोगों, जैसे हृदयरोग, वात, रक्त, मूत्र तथा वीर्यदोष, स्वरक्षय, खांसी और श्वासरोग में लाभदायक माना जाता है।
आचार्य वागभट ने मधुमेह में इसे सर्वश्रेष्ठ औषधि कहा है। आधुनिक शोधों में पता चला है की आँवले में क्रोमियम पाया जाता है और क्रोमियम इंसुलिन बनाने वाले सेल्स को ऐक्टिवेट करता है। इंसुलिन बनने से ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।