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    एंटी टेररिस्ट कमांडो आजमगढ़ से रखेंगे पूर्वांचल पर नजर, जिले में चिह्नित है 3000 वर्ग फीट जमीन

    By Saurabh ChakravartyEdited By:
    Updated: Wed, 09 Feb 2022 05:07 PM (IST)

    Anti terrorist commandosआजमगढ़ जिले मं एटीएस यूनिट के लिए मंदुरी में भूमि चिह्नित है। उसे कब्जे में लेने की कार्यवाही शेष है। सेंटर का आकार पांच हजार ...और पढ़ें

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    एटीएस यूनिट की स्थापना के लिए मंदुरी एयरपोर्ट के पास ही जमीन चिह्नित की गई।

    आजमगढ़, जागरण संवाददाता। एंटी टेररिस्ट कमांडोज ‘आजमगढ़’ से पूर्वांचल में आतंकी गतिविधियों की निगरानी कर सकेंगे। जनपद की जरूरतों के दृष्टिगत पहले से ही एटीएस यूनिट स्थापित की जा रही है। विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में भाजपा ने एंटी टेररिस्ट कमांडो सेंटर खोलने की बात शामिल कर इसे आगे बढ़ाया है। इसे आजमगढ़ में स्थापित करना आसान होने संग कमांडोज भी अपना काम बेहतर तरीके से कर पाएंगे। दोनों योजनाएं जमीन पर उतरीं तो एटीएस सेंटर का आकार पांच हजार वर्ग मीटर में फैला होगा।

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    ...तो मंदुरी के पास ही बनेगा कमांडो सेंटर

    एटीएस यूनिट की स्थापना के लिए मंदुरी एयरपोर्ट के पास ही जमीन चिह्नित की गई। विभाग को बस जमीन को अपने कब्जे में लेना है। आतंकवाद निरोधी दस्ता के मुखिया ने आजमगढ़ के तत्कालीन कलेक्टर राजेश कुमार से 3000 वर्ग फीट भूमि की मांग की थी। उन्होंने डीएम को लिखे अपने पत्र में स्वतंत्र यूनिट की स्थापना की बात कही थी। चूंकि एटीएस के ही कमांडो सेंटर बनना है, तो एयरपोर्ट के निकट की भूमि को ही तरजीह दी जाएगी। देवबंद की भांति यहां भी दो हजार वर्ग मीटर भूमि नए सेंटर के लिए जरूरी होगी।

    कमांडो बनने को कई प्रिलिमिनरी टेस्ट

    पुलिस और पीएससी के जवानों को एटीएस कमांडो बनाने के लिए कई जांच (प्रिलिमिनरी टेस्ट) से गुजरना पड़ता है। इसमें फिजिकल, मेंटल और टेक्निकल टेस्ट होते हैं। जांच की तीनों बाधाएं पार करने के बाद एक सामान्य ज्ञान का टेस्ट होता है। उसके बाद कमांडो की ट्रेनिंग शुरू हाेती है। कमांडो चेहरा देखते ही खतरे को भांप, पलटवार करते हैं।

    आजमगढ़ में इसलिए भी जरूरी कमांडो सेंटर

    देश में हुई अधिकांश आतंकी घटनाओं के तार जिले से जुड़ते पाए गए थे। वर्ष 2008 में 26 जुलाई को अहमदाबाद में सीरियल ब्लास्ट के बाद भी जिला सुर्खियों में था। एटीएस, इंटेलीजेंस टीम ने खंगाला तो आजमगढ़ के मुफ्ती अबु बशर लखनऊ में हत्थे चढ़ा था। छानबीन बढ़ी तो आजमगढ़ के तार दिल्ली व अन्य महानगरों में हुए सीरियल धमाकों से जुड़े, फिर बटला कांड में आतिफ अमीन व छोटा साजिद के मारे जाने के बाद जिला सुर्खियों में छाया था। सुरक्षा एजेंसियों का शक तो वर्ष 2007 में ही गहरा गया था, जब रानी की सराय में क्लीनिक चलाने वाला हकीम तारिक कासिमी बाराबंकी रेलवे स्टेशन पर विस्फोटक के साथ हत्थे चढ़ा था। वर्ष 2021 के जुलाई माह में लखनऊ में दो आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद खुफिया एजेंसियां, एटीएस अलर्ट हुईं तो हलचल जनपद में महसूस की गई थी।

    एटीएस यूनिट के लिए मंदुरी में भूमि चिह्नित

    ‘एटीएस यूनिट के लिए मंदुरी में भूमि चिह्नित है। उसे कब्जे में लेने की कार्यवाही शेष है। कमांडोज के पास जैसे हथियार होते हैं, उस तरह के जिले में गिनती के उपलब्ध रहते हैं। ट्रेनिंग ऐसी होती है कि कमांडो मुश्किल में बगैर घबराए पलटवार कर आतंकियों का खात्मा कर सकें’

    -अनुराग आर्य, पुलिस अधीक्षक।