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    काशी में अन्नपूर्णेश्वरी का 17 दिवसीय व्रत-अनुष्ठान 10 नवंबर से शुरू, 27 को होगा महावितरण

    Updated: Sat, 08 Nov 2025 07:41 AM (IST)

    वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय व्रत-अनुष्ठान 10 नवंबर से शुरू होगा। भक्त 17 गांठों का धागा धारण कर व्रत का संकल्प लेंगे। 17 दिनों तक विशेष पूजन और परिक्रमा की जाएगी। 26 नवंबर को पूर्णाहुति पर किसान धान की पहली बाली अर्पित करेंगे। अगले दिन धान की बालियां प्रसाद स्वरूप वितरित की जाएंगी, जिससे अन्न भंडार भरा रहने की मान्यता है।

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    जागरण संवाददाता, वाराणसी। श्रीकाशी विश्वनाथ के प्रथम द्वार (गेट नंबर एक) स्थित मंदिर में विराजमान काशीपुराधीश्वरी मां अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय वार्षिक व्रत-अनुष्ठान का मार्गशीर्ष (अगहन) कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि में 10 नवंबर से आरंभ होगा। प्रथम दिन अन्नपूर्णेश्वरी के दर्शन कर मंदिर से प्राप्त 17 गांठ का धागा धारण कर व्रत संकल्प लिया जाएगा।

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    पीठाधीश्वर महंत शंकरपुरी महाराज ने बताया कि 17 दिनों तक 17 प्रकार के पूजन, शृंगार, भोग-प्रसाद की सामग्री अर्पित की जाएगी। इसमें 17 परिक्रमा और 17 दीप जलाने का विधान है। इस अवधि में एक अन्नाहार या फलाहार किया जाता है। इस व्रत का उद्धापन 17 वर्ष पर किया जाता है।

    17 दिवसीय अन्नपूर्णा व्रत-अनुष्ठान की पूर्णाहुति मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष षष्ठी तिथि में 26 नवंबर बुधवार को होगी। पूर्वांचल भर से किसान खेतों से धान के फसल की पहली बाली लाकर मां अन्नपूर्णा को अर्पित करेंगे। उससे ही विशेष शृंगार झांकी सजाई जाएगी।अगले दिन 27 नवंबर को माता अन्नपूर्णा के दरबार से प्रसाद स्वरूप धान की बालियां भक्तों में वितरित की जाएंगी।

    मंदिर से धान की बालियां भक्त ले जाकर अपने अन्न भंडार में रखते हैं या खेतों में बीज के रूप में उपयोग करते हैं। मान्यता है इससे मां अन्नपूर्णा की कृपा से वर्षपर्यंत भंडार भरा रहता है। खेतों में फसल की उपज उम्मीद से कई गुना अधिक होती है।