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    मां अन्नपूर्णेश्वरी की धरा में बच्चों का पोषण कर रहा अक्षय पात्र, आस्था और तकनीक के संगम से भोग परोसतीं पाकशालाएं

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Sat, 09 Jul 2022 05:40 PM (IST)

    Shree Annapurna Devi Mandir Varanasi आज इस आयोजन में हम आपको बता रहे हैं कि कैसे इन रसोइयों में हजारों किलो सामग्री से प्रसाद तैयार होता है और भक्तों में पूरे अनुशासन के साथ वितरित किया जाता है

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    Shree Annapurna devi Mandir: क्रमबद्ध तरीके से अन्य स्कूलों में भी इसे विस्तार दिया जाएगा।

    प्रमोद यादव, वाराणसी: मां अन्नपूर्णेश्वरी की धरा काशी में मान्यता है कि उनकी कृपा से कोई भूखा नहीं सोता। धर्मशास्त्र इसकी गवाही देते हैं तो जगह-जगह चल रहे अन्न दान प्रकल्प इसका आभास भी करा देते हैं। इस संकल्प को आगे बढ़ाने के लिए इस्कान ने भी अपना अक्षय पात्र खोल दिया है। अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से अर्दली बाजार के एलटी कालेज परिसर में अत्याधुनिक रसोई स्थापित की गई है। इससे बच्चों को पोषण युक्त, स्वादिष्ट गरमा-गरम मध्याह्न भोजन पहुंचाया जा रहा है। इसे अभी माडल ब्लाक सेवापुरी के 148 परिषदीय स्कूलों में 27 हजार बच्चों को खिलाया जा रहा है। हालांकि रसोई की क्षमता चार घंटे में एक लाख बच्चों का भोजन पकाने की है। क्रमबद्ध तरीके से अन्य स्कूलों में भी इसे विस्तार दिया जाएगा।

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    रसोई नहीं, प्लांट कहिए: अक्षय पात्र फाउंडेशन की केंद्रीयकृत मध्याह्न भोजन रसोई में आटा गूंथने से लेकर रोटी बनाने, चावल-दाल-सब्जी धोने, मसाला पीसने और पकाने तक का काम अत्याधुनिक मशीनों से किया जा रहा है। इस तरह इस रसोई को प्लांट कहा जा सकता है। इसमें एक घंटे में 40 हजार रोटियां बनाई जा रही हैं तो विशाल इलेक्ट्रानिक कुकर में सिर्फ 45 मिनट में 130 किलोग्राम चावल पकाया जा रहा है। वहीं 1,200 किलोग्राम दाल-सब्जी पकाने में सिर्फ 1.30 घंटे लग रहे हैं। चार घंटे में एक लाख भोजन तैयार कर लेने के लिए रोटी बनाने की दो, चावल पकाने की छह व दाल-सब्जी के लिए चार मशीनें लगाई गई हैं। दो टन क्षमता का कोल्ड स्टोर भी बनाया गया है।बैकअप भी तैयार रखा गया है ताकि किसी मशीन में फाल्ट की स्थिति में सेवा न प्रभावित हो।

    समर्पित 13 सेवादारों की टीम: रसोई में पूरी शुद्धता व गुणवत्ता के साथ भोजन तैयार करने के लिए 13 सेवादारों की टीम लगाई गई है। अपनी निगरानी में आटा पिसवाने के साथ मसाला इस रसोई में ही पिसने की व्यवस्था की गई है। स्वच्छता का ख्याल रखते हुए भोजन बनाने में लगे सेवादारों को सिर से पैर तक ढक कर ही प्रवेश की अनुमति है। भोजन स्कूलों तक ले जाने के लिए विशेष प्रकार की वैन लगाई गई है ताकि गरम खाना ही परोसा जाए। वहां शिक्षा विभाग की ओर तय मीनू अनुसार दाल-चावल, रोटी-सब्जी, तहरी आदि स्कूल की थाली में खिलाया जा रहा है। प्रति थाली लगभग 13 रुपये खर्च आ रहा जिसमें 60 प्रतिशत संस्था की ओर से लगाया जा रहा है।

    प्रधानमंत्री ने किया उद्घाटन: अक्षय पात्र फाउंडेशन की रसोई इस्कान के संस्थापक भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद के सोच से जुड़ी है। इसके तहत स्थापित अक्षय पात्र फाउंडेशन ने वर्ष 2000 में पांच स्कूलों के 1,500 बच्चों को भोजन से बेंगलुरू में इसकी शुरूआत की। कुछ माह में ही संख्या 40 हजार बच्चों तक पहुंच गई। देश में मध्याह्न भोजन योजना लागू होने पर वर्ष 2003 में फाउंडेशन का कर्नाटक सरकार से अनुबंध हुआ। सरकारी मदद भी मिलने लगी। अब देश के 14 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में 61 स्थानों पर रसोई स्थापित कर 20 लाख बच्चों को भोजन कराया जा रहा है। बनारस में देश की 62वीं व प्रदेश की चौथी केंद्रीयकृत मध्याह्न भोजन रसोई के लिए सरकार ने तीन एकड़ जमीन और 13 करोड़ रुपये दिए। शेष धन की व्यवस्था संस्था ने की। इस 23 करोड़ के प्रोजेक्ट का पीएम नरेन्द्र मोदी ने सात जुलाई को उद्घाटन किया।