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    वाराणसी में गंगा तट के घाटों पर हवाएं प्रदूषित, दशाश्‍वमेध घाट पर हवा में सबसे ज्यादा मिले प्रदूषक तत्‍व

    By Abhishek SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 19 Apr 2022 01:54 PM (IST)

    पर्यावरण के लिए काम करने वाली संस्‍था क्‍लाइमेट एजेंडा की जांच के दौरान वाराणसी में गंगा तट के घाटों पर हवाएं अधिक प्रदूषित पाई गई हैं। वहीं दशाश्‍वमेध घाट पर हवा में सबसे ज्यादा प्रदूषक तत्‍व मिलने से प्रदूषण चिंताजनक माना जा रहा है।

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    वाराणसी में गंगा तट के घाटों पर हवाएं अधिक प्रदूषित हैं।

    वाराणसी, जागरण संवाददाता। अस्सी घाट पर प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो गया है। वहीं केदारघाट और पंचगंगा घाट पर तुलनात्मक तौर पर हवाएं साफ हैं। केयर फार एयर संस्‍था की ओर से जारी आंकड़ों में यह जानकारी सामने आई है। वहीं सबसे ख्‍यात दशाश्‍वमेध घाट पर वायु प्रदूषण का स्‍तर अधिक चिंंताजनक है। संस्‍था की ओर से मांग की गई है कि स्‍थानीय नागरिकों और सैलानियों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ बंद हो और राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जाए।  

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    संस्‍था की रिपोर्ट के मुताबिक दशाश्‍वमेध और अस्सी पर वायु गुणवत्ता स्तर बेहद खराब, केदार और पंचगंगा क्रमशः तीसरे और चौथे स्थान पर हैं। इस प्रकार गंगा में घाटों पर हवाओं के प्रदूषण का स्‍तर सामने आने के बाद अब घाटों पर सेहत की चुनौती को लेकर भी मंथन करने का समय आ गया है।  

    क्लाइमेट एजेंडा द्वारा 18 अप्रैल 2022 को शाम पांच बजे से सात बजे तक शहर बनारस के चार अति महत्वपूर्ण घाटों पर वायु गुणवत्ता निगरानी का काम किया गया। कम मूल्य की छोटी लेकिन अति भरोसेमंद मशीनों का उपयोग कर अस्सी, केदार, दशास्वमेध और पंचगंगा घाट पर यह निगरानी करने का उद्देश्य आम नागरिक और जिला प्रशासन को गहरी और बेपरवाह निद्रा से जगाने का था। 

    इस गतिविधि के बारे में जानकारी देते हुए क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर ने कहा कि "राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वाराणसी इकाई को शहर में वायु प्रदूषण के वर्ष पर्यन्त बढे हुए स्तर की चिंता केवल तब होती है जब देश में दिल्ली और बेंगलुरु जैसे शहरों में वायु प्रदूषण पर चर्चा होती है। अगर यह विभाग वर्ष पर्यन्त सक्रिय रहता तो वाराणसी में गर्मियों के दौरान प्रदूषण की मार इतनी भयावह नहीं होती कि हमारे द्वारा अस्सी घाट पर स्थापित किया गया कृत्रिम फेफड़ा मात्र तीन दिनों में काला पड़ जाए। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत बनारस जिले को प्राप्त करोड़ों रूपए की रकम का उपयोग शहर के प्रदूषण को कम करने में किया जाना चाहिए था, ताकि वाराणसी में बच्चे, वरिष्ठ नागरिक एवं मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रदूषण का असर कम हो सके।"

    एकता शेखर ने बताया कि "सोमवार को शहर के चार प्रतिष्ठित घाटों पर वायु गुणवत्ता की निगरानी से प्राप्त आंकड़े शहर के निजामों की आंखें खोलने की क्षमता रखते हैं। गर्मी के मौसम में, जबकि प्रदूषण का स्तर तुलनात्मक तौर पर कम रहता है, फिर भी उपरोक्त सभी घाटों पर हालात चिंताजनक मिले। इन आंकड़ों को जारी करने का हमारा आशय केवल आलोचना करना नहीं है। जिलाधिकारी द्वारा राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के सही तरीके से अनुपालन के लिए बनी जिला कमेटी में शामिल संस्थाओं और संगठनों को भी कुछ पहल करनी चाहिए।" क्लाइमेट अजेंडा द्वारा अस्सी घाट पर स्थापित कृत्रिम फेफड़े केवल 72 घंटों में वायु प्रदूषण के कारण काले पड़ गए थे।