संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्याल में दो दशक बाद दीक्षा समारोह की पूर्व संध्या पर हाेगा शास्त्रार्थ
संस्कृत विश्वविद्यालय दीक्षा समारोह की पूर्व संध्या पर यानी दो जनवरी को शास्त्रार्थ व गायन प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय में दीक्षा समारोह के एक दिन पहले शास्त्रार्थ की परंपरा रही है। करीब दो दशक से यह परंपरा टूट गई है।

वाराणसी, जागरण संवाददाता। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय तीन जनवरी को आयोजित दीक्षा समारोह को अंतिम रूप देने में जुटा हुआ है। वहीं संस्कृत विश्वविद्यालय दीक्षा समारोह की पूर्व संध्या पर यानी दो जनवरी को शास्त्रार्थ व गायन प्रतियोगिता कराने का निर्णय लिया है। विश्वविद्यालय में दीक्षा समारोह के एक दिन पहले शास्त्रार्थ की परंपरा रही है। करीब दो दशक से यह परंपरा टूट गई है। कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने यह परंपरा फिर से शुरू करने जा रहे हैं।
दोनों विश्वविद्यालयों में दीक्षा समारोह की अध्यक्षता राज्यपाल /कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल करेंगी। वहीं विद्यापीठ में बोर्ड आफ गवर्नस (बीओजी) एनआइटी उत्तराखंड के चेयरमैन डा. आरके त्यागी समारोह के मुख्य मुख्य अतिथि अतिथि होंगे। संस्कृत विवि में लोक गायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी समारोह मुख्य अतिथि होंगी। दोनों विश्वविद्यालयों में समारोह का पूर्वाभ्यास दो जनवरी को होगा। कोविड प्रोटोकाल को देखते हुए विद्यापीठ ने इस बार विषयवार टाप-टेन मेधावियों को समारोह में नहीं बुला रहा है। सिर्फ गोल्ड मेडलिस्ट व पीएचडी उपाधिधारकों को ही इस बार गाउन दिया जाएगा। मेडलिस्ट व पीएचडी उपाधिधारक आनलाइन 700 रुपये जमा कर एक जनवरी से गाउन विद्यापीठ के काउंटर से हासिल कर सकते हैं। इसमें 200 रुपये उपाधि शुल्क भी शामिल है। कुलसचिव डा. सुनीता पांडेय ने बताया कि गाउन जमा करने पर 100 धुलाई शुल्क काटकर विद्यार्थियाें को 400 रुपये उनके खाते में भेंज दिया जाएगा।
काशी विद्यापीठ की रैकिंग सुधारना ही संकल्प
काशी विद्यापीठ की रैकिंग सुधारना ही संकल्प महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में पठन-पाठन का माहौल पहले से और बेहतर हुआ है। इसके बावजूद संस्था को नैक से सी ग्रेड मिला था। नए वर्ष में संस्था को अच्छी ग्रेडिंग मिले। यह मेरा प्रयास ही नहीं संकल्प भी होगा। इस क्रम में नए साल में विद्यापीठ को संसाधनों से और समृद्ध करने, शैक्षणिक माहौल और बेहतर बनाने का भी प्रयास होगा। नए साल में शिक्षकों, कर्मचारियों व छात्रों के सहयोग से संस्था को और बेहतर बनाने का भी संकल्प है। पढ़ाई के साथ-साथ समय से परीक्षा व रिजल्ट देना भी प्राथमिकता होगी। -प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति (महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ)
आधुनिक तकनीकी से प्राच्य विद्या को जोड़ने का संकल्प
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापना शास्त्रों की रक्षा करने के उद्देश्य से की गई है। विश्वविद्यालय यह कार्य कर भी रहा है। नए साल में प्राच्य विद्या को आधुनिक तकनीक से जोड़ने का संकल्प है। इसके तहत प्राच्य विद्या को डिजिटल प्लेटफार्म पर लाने का प्रयास होगा। इस दिशा में पहल भी शुरू कर दी गई है। नए साल में इसे और गति देने का प्रयास किया जाएगा। इस क्रम में आनलाइन पठन-पाठन को बढ़ावा देने का भी प्रयास होगा। संस्कृत महाविद्यालयाें को भी विस्तार देने का निर्णय लिया है ताकि विद्यार्थियों को रोजगार से जोड़ा जा सके।
-प्रो. हरेराम त्रिपाठी, कुलपति (संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय)
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