बनारस की अदिति बनीं JNU छात्रसंघ अध्यक्ष, BHU में छात्रा से यौन उत्पीड़न के खिलाफ आंदोलन में थी बड़ी भूमिका
बनारस की अदिति जेएनयू छात्रसंघ की अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं। उन्होंने बीएचयू में एक छात्रा के साथ हुए यौन उत्पीड़न के विरोध में हुए आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। उनकी जीत जेएनयू के छात्र राजनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।

फिलहाल अदिति जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं।
जागरण वाराणसी: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) छात्रसंघ की नई अध्यक्ष अदिति वाराणसी जिले के करौंदी क्षेत्र की मूल रूप से निवासी हैं। उन्होंने इसके पूर्व बीएचयू से ही स्नातक की पढ़ाई की थी। इस दौरान छात्राओं के अधिकारों के लिए संघर्ष में भी वह सक्रिय रहीं। उन्होंने 2016 में बीएचयू स्थित महिला महाविद्यालय में बीए में प्रवेश लिया था। वर्ष 2017 में एमएमवी में हुए छात्राओं के आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी। 2019 में राजनीति विज्ञान से बीए आनर्स की पढ़ाई पूरी करने के बाद पुडुचेरी यूनिवर्सिटी से एमए पूरा किया। फिलहाल वह जेएनयू से पीएचडी कर रही हैं।
जेएनयू छात्रसंघ की वाम गठबंधन से नवनिर्वाचित अध्यक्ष अदिति मिश्रा की यात्रा की शुरुआत बनारस की गलियों, बीएचयू परिसर और करौंदी के छोटे-छोटे सामाजिक संघर्षों से हुई थी। बीएचयू के महिला महाविद्यालय से ग्रेजुएशन करने वालीं अदिति ने सितंबर 2017 में विश्वविद्याय की एक छात्रा के यौन उत्पीड़न के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
परिसर में विद्यार्थियों का पुलिस से हिंसक टकराव हुआ था। सिंहद्वार को बंद करना पड़ा था। अदिति ने बताया कि विश्वविद्यालय प्रशासन पीड़ित छात्रा की बात सुनने को तैयार ही नहीं था, इसलिए संघर्ष कई दिनों तक चला। पुलिस लाठीचार्ज में कई छात्र-छात्राएं घायल हुए थे। विरोध प्रदर्शन का मुख्य कारण विश्वविद्यालय प्रशासन का मनमाना रवैया और छात्राओं की सुरक्षा में कमजोरी थी।
बनारस के करौंदी की रहने वाली अदिति के पिता संजय मिश्र फौजी और मां मधुबाला मिश्रा गृहिणी हैं। पिता की अधिकतर पोस्टिंग महाराष्ट्र और राजस्थान में होने के कारण उनका बचपन और स्कूली शिक्षा दोनों राज्यों के अलग-अलग जिलों में हुई। 2018 में बीएचयू से इकोनमिक्स आनर्स में ग्रेजुएशन किया और पांडिचेरी यूनिवर्सिटी से साउथ एशियन स्टडीज से पोस्ट ग्रेजुएशन किया।
वहां उन्होंने हिंदुत्व और भगवाकरण के विरोध में छात्र आंदोलनों का नेतृत्व किया। कुलपति कार्यालय का घेराव, 2019 में फीस वृद्धि के खिलाफ प्रशासनिक भवन बंद कराना, 2020 में जरूरतमंद और पिछड़े वर्ग के छात्रों के अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने में सक्रिय भूमिका निभाई। फिलहाल जेएनयू के स्कूल आफ इंटरनेशनल स्टडीज में पीएचडी कर रही अदिति बताती हैं कि आगे चलकर विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर बनकर राजनीति विज्ञान पढ़ाना चाहती हैं।
साथ में समाज के पिछड़े और वंचितों की लड़ाई हमेशा लड़ती रहेंगी। बीएचयू में अदिति की दोस्त रहीं शिवानी पांडेय बताती हैं कि वह स्वतंत्र सोच और अपने दिल की सुनने वाली लड़की है। नेतृत्व के गुण उसमें शुरू से थे। बीएचयू में छात्रों की समस्याओं को वह जोरशोर से उठाती थी। बीएचयू के महिला महाविद्यालय की राजनीति विज्ञान विभाग की प्रो. वैशाली रघुवंशी कहती हैं-अदिति ने अपनी जीत से असहमति, समानता, सामाजिक न्याय की विचारधारा को धार दी है। महिला महाविद्यालय के वार्षिक समारोह ‘मंथन’ में पंजाब की अमर प्रेमकथा ‘हीर-रांझा’ पर अदिति के लिखे नाटक का मंचन हुआ था।

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