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वर्ष 2007 में विधायक का चुनाव लड़ने के लिए पोस्टर लगाकर राजनीति में आने का संकेत दिया था अबू सलेम ने

माफिया अबू सलेम को फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने के मामले में मंगलवार को सीबीआइ लखनऊ की विशेष अदालत से तीन वर्ष कैद की सजा सुनाने के बाद आजमगढ़ में उससे जुड़ी यादें सुर्खियां बनकर उभरीं। डान बनने के बाद अब एक-एक गुनाह के लिए सजा पाते जा रहा है।

By Rakesh SrivastavaEdited By: Saurabh ChakravartyPublished: Tue, 27 Sep 2022 10:24 PM (IST)Updated: Tue, 27 Sep 2022 10:24 PM (IST)
वर्ष 2007 में विधायक का चुनाव लड़ने के लिए पोस्टर लगाकर राजनीति में आने का संकेत दिया था अबू सलेम ने
1968 में जन्मा अबू सलेम आजमगढ़ के मुबारकपुर का मूलत: निवासी है।

जागरण संवाददाता, आजमगढ़ : माफिया अबू सलेम को फर्जी तरीके से पासपोर्ट बनवाने के मामले में मंगलवार को सीबीआइ लखनऊ की विशेष अदालत से तीन वर्ष कैद की सजा सुनाने के बाद आजमगढ़ में उससे जुड़ी यादें सुर्खियां बनकर उभरीं।

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मुबारकपुर विधानसभा से चुनाव लड़ने के लिए रातों-रात किए गए पोस्टरवार, मां के इंतकाल पर आजमगढ़ में उसकी मौजूदगी में चुनाव लड़ने की तैयारी का संकेत दिया था। यह भी किस तरह एक वकील का मोटर मैकेनिक बेटा मुंबई पहुंच जरायम की गहराइयां नापते अंतरराष्ट्रीय डान बनने के बाद अब एक-एक गुनाह के लिए सजा पाते जा रहा है।

सियासत में रखना चाहता था मजबूत कदम

1968 में जन्मा अबू सलेम आजमगढ़ के मुबारकपुर का मूलत: निवासी है। उसके अधिवक्ता पिता अब्दुल कयूम बाद में सरायमीर के पठानटोला में जा बसे। उनकी कचहरी से घर लौटते वक्त बाइक दुर्घटना में मौत हो गई थी। अबू सलेम तब 12वीं की पढ़ाई करने संग मोटर मैकेनिक का काम भी सीख रहा था।

हुनर को धार देने मुंबई गया, तो फिर वर्ष 2011 में अपनी मां के इंतकाल पर टाडा अदालत की इजाजत से अपने घर सरायमीर आया था। उस समय कहा था, मैंने राजनीति में आने का इरादा छोड़ दिया है। हालांकि, वर्ष 2007 में अंसारी बाहुल्य मुबारकपुर में उसे विधायकी उम्मीदवार बताने वाले पोस्टर पूरे इलाके में चस्पा किए गए थे। मुंबई से वकील अनुज सरावगी परमीशन लेने आए थे, लेकिन बात नहीं बन पाई थी।

युवाओं की दीवानगी देख टटोली थी नब्ज

मुंबई सीरियल ब्लास्ट मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा सलेम मां की मिट्टी के बाद 40वां में पहुंचा। इस दौरान उसने चुनाव लड़ने का मन बनाया था। चूंकि उसके चुनाव लड़ने की उम्मीदें धूल-धुसरित नजर आईं, इसलिए फिर से आजमगढ़ का रुख नहीं किया। हालांकि, उसने अपनी संपत्ति पर दावे लिए सरायमीर थाने में प्रार्थनापत्र भी दिया था। अब एक दशक बाद वह तो नहीं आ रहा, लेकिन उसके गुनाहों की सजा की सूचना जरूर आ रही है। उसके भाई अबू हाकिम परिवार समेत सरायमीर के पठानटोला में रहते हैं।


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