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गोपी राधा स्कूल में नाॅर्वे के आॅस्लो मेट विश्वविद्यालय के छात्रों ने बनारसी संस्कृति को जाना

गोपी राधा प्राइमरी स्कूल एवं गर्ल्‍स इंटर काॅलेज रवींद्रपुरी में गुरुवार को नाॅर्वे की आॅस्लो मेट विश्वविद्यालय के छात्रों का दल पहुंचा।

By Saurabh ChakravartyEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 02:59 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 03:03 PM (IST)
गोपी राधा स्कूल में नाॅर्वे के आॅस्लो मेट विश्वविद्यालय के छात्रों ने बनारसी संस्कृति को जाना
गोपी राधा स्कूल में नाॅर्वे के आॅस्लो मेट विश्वविद्यालय के छात्रों ने बनारसी संस्कृति को जाना

वाराणसी, जेएनएन। गोपी राधा प्राइमरी स्कूल एवं गर्ल्‍स इंटर काॅलेज, रवींद्रपुरी में गुरुवार को नाॅर्वे की आॅस्लो मेट विश्वविद्यालय के छात्रों का दल पहुंचा। उन्होंने विद्यालय के प्राइमरी के बच्चों से संवाद किया। इस अवसर पर बच्चों ने संस्कृत के श्लोक सुनाया और काव्यपाठ किया।

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नाॅर्वे छात्रों के दल की अगुवाई काशी हिंदू विश्वविद्यालय में यात्रा एवं पर्यटन प्रबन्धन के असिस्टेंट प्रोफेसर डा. प्रवीण एस. राणा कर रहे थे। दल में आॅस्लो मेट विश्वविद्यालय की प्रो. हाल्डिस एवं डा. सिल्ये छात्रों का मार्गर्शन कर रही थीं। विद्यालय की सहायक निदेशिका सुश्री सलोनी शाह ने विद्यालय में बच्चों को दी जा रही संस्कृति और संस्कार की शिक्षा के पाठ्यक्रमों से सभी को अवगत कराया। इस अवसर पर विद्यालय की निदेशिका डा. शालिनी शाह, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी श्रीमती रीना सिंह व उपप्रबंधक अभिनव भटट ने नाॅर्वे दल का स्वागत किया।

भारतीय दर्शन से हुए प्रभावित नार्वे के छात्र

बीएचयू स्थित कला संकाय में आयोजित इंडो-नार्वे समागम में ओस्लो मेट्रोपोलिटन विश्वविद्यालय के 22 छात्रों ने हिस्सा लिया, जिनके साथ प्रोफेसरों में प्रो हाल्दीस व डा सिल्ये शामिल थी। इस दस दिवसीय सम्मेलन में नार्वे के सारे प्रतिनिधि बीएचयू के छात्रों के साथ मिलकर भारतीय धर्म, संस्कृति, दर्शन व धरोहरों के रहस्यों की अनुभूति की। दरअसल नार्वे से सभी छात्र धार्मिक अध्ययन के लिए भारत आए हैं। बनारस में हिंदू धर्म पर अध्ययन करने के बाद ये दल बोधगया, राजगीर व नालंदा में गौतम बुद्ध पर, खजुराहो में जैन धर्म पर व नई दिल्ली में सिख एवं मुस्लिम धर्म पर जानकारी एकत्र करेगा। नार्वे की राजधानी ओस्लो के छात्रों ने अपने उच्च मानव विकास को प्रजेंटेशन के माध्यम से दर्शाया। कार्यक्रम के आयोजक डा. प्रवीण राणा ने बताया कि पिछले पंद्रह वर्षों से यह दल भारत का दौरा कर यहां की संस्कृति से रूबरू होता रहा है।


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