'स्वामी विवेकानंद से सीखें लीडरशिप के गुरुमंत्र' में युवाओं को संबल देते स्वामी जी के विचारों का संग्रह
स्वामी विवेकानंद से सीखें लीडरशिप के गुरुमंत्र नाम की पुस्तक में युवाओं को संबल देते स्वामी जी के विचारों का अनुपम संग्रह है। पुस्तक आध्यात्म से ...और पढ़ें

नई दिल्ली, मुकेश चौरसिया। स्वामी विवेकानंद की कल यानी चार जुलाई को 120वीं पुण्यतिथि है। वह युग प्रवर्तक थे। देश की स्वाधीनता के लिए उन्होंने निराश समाज को जाग्रत किया और उसकी पराजित मन:स्थिति को संबल दिया। उनके विचार जटिल थे और तत्कालीन सामाजिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर आधारित थे, इसके बावजूद उनके विचार और दर्शन आज के समय में भी प्रासंगिक हैं।
इससे आत्मिक, आध्यात्मिक और वैयक्तिक उन्नति का पथ प्रशस्त किया जा सकता है। उनके विचारों को अपनाने से पराजित मन को संबल दिया जा सकता है। कुंवर कनक सिंह राव की पुस्तक 'स्वामी विवेकानंद से सीखें लीडरशिप के गुरुमंत्र' विपरीत और जटिल परिस्थितियों में भी आगे बढऩे की राह दिखाती प्रतीत होती है। स्वामी विवेकानंद का संपूर्ण जीवन ही प्रेरणादायक और नेतृत्व के ओजस्वी गुणों से ओतप्रोत है। उन्होंने कहा था कि उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य प्राप्त न हो जाए। उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा था कि निराशा, कमजोरी, भय और ईर्ष्या युवाओं के सबसे बड़ शत्रु हैं।
युवाओं का इससे भी बड़ा शत्रु स्वयं को कमजोर समझना है। विवेकानंद ने युवाओं को जीवन में लक्ष्य निर्धारित करने के लिए स्पष्ट संकेत दिया कि तुम सदैव सत्य का पालन करो और विजय तुम्हारी होगी। आज जरूरत इस बात की है कि हम स्वामी विवेकानंद के मूल्यों को अपनाएं और भारत की महानता के लिए उनके द्वारा सुझाए गए मार्ग को समझें। इस पुस्तक में 'जीते तो नेतृत्वकर्ता : हारे तो पथदर्शक', 'स्वामी विवेकानंद का राष्ट्रवादी नेतृत्व', 'नेतृत्वकर्ता की दिशा हमेशा सकारात्मक हो', 'दुख चक्र से बाहर निकलना' और 'सर्व समावेश की अवधारणा' जैसे कई अध्यायों के माध्यम से प्रगति की राह दिखाई गई है। वैसे तो स्वामी विवेकानंद के जीवन और उनके विचारों के माध्यम से नेतृत्व क्षमता विकसित करने पर कई पुस्तकें लिखी जा चुकी हैं, उसी कड़ी में यह पुस्तक भी है। इसकी भाषा सरल और सहज है। जीवन में सुख, संतोष और सफलता प्राप्त करने में यह सहायक साबित हो सकती है।
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पुस्तक : स्वामी विवेकानंद से सीखें लीडरशिप के गुरुमंत्र
लेखक : कुंवर कनक सिंह राव
प्रकाशक : प्रभात पेपरबैक्स
मूल्य : 250 रुपये
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