Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    ललित निबंधकार होता है साहित्य का पुरोहित

    By Edited By:
    Updated: Sun, 22 Jul 2012 02:19 AM (IST)

    वाराणसी: ललित निबंधकार साहित्य का पुरोहित होता है। डॉ. नीरजा माधव अकुंठ मन की रचनाकार हैं। शास्त्र और लोक को वह पकड़कर चलती हैं। साहित्य अकादमी (मध्य प्रदेश, भोपाल) के निदेशक प्रो. टीएन शुक्ल ने ये बातें कहीं।

    प्रो. शुक्ल डॉ. माधव के ललित निबंध संग्रह 'चैत चित्त मन महुआ' पर शनिवार को पराड़कर भवन में आयोजित समीक्षा गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। अध्यक्षता तिब्बती अध्ययन विवि के कुलपति गेशे नवांग समतेन ने की।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चैत चित्त मन महुआ की रचनाकार डॉ. माधव ने कहा कि ललित निबंधों की भारतीय परंपरा में व्यक्तिगत 'मैं' वृहत्तर अर्थ में विगलित होता है। रचनाकार अपने भाव और विचार को व्यक्त करने की विधा को चुनता है जैसे कविता या ललित निबंध। मेरी रचनाएं इसकी रचना गोलार्ध की परिणतियां हैं। डॉ.जितेंद्र नाथ मिश्र ने कहा कि नीरजा जी के ललित निबंध पं. विद्यानिवास मिश्र की परंपरा की कृति है, यह उस परंपरा को आगे ले जाने की अच्छी शुरूआत है।

    हिमांशु उपाध्याय ने कहा कि आज ललित निबंध कम लिखे जा रहे हैं। ऐसे में यह रचना एक अनूठी कृति है। नीरजा माधव एक सजग साहित्यकार के साथ पत्रकार भी हैं। प्रो.मंजुला चतुर्वेदी, डॉ. गौतम चटर्जी, डॉ. भगवंती सिंह, डॉ. बाबू राम त्रिपाठी, डॉ. मुक्ता, लवकुश द्विवेदी, मनोज कुमार सिंह आदि ने विचार रखा।

    मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर