13 फीसद लोग नहीं जानते लकवा का इलाज होता कहां है
विश्व लकवा दिवस
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वाराणसी : न्यूरोलॉजी विभाग (बीएचयू अस्पताल) की ओर से गत सप्ताह वाराणसी एवं आसपास के जिलों में लकवा रोग को लेकर सर्वे कराया गया। एक हजार लोगों पर कराए गए इस सर्वे में पता चला कि 13 फीसद लोग जानते ही नहीं कि लकवा का इलाज कहां होता है। 22 फीसद लोगों को यह मालूम नहीं है कि किसी व्यक्ति पर स्ट्रोक (लकवा) का हमला हो जाए तो उसे किस प्रकार की समस्या आती है। लगभग 45 फीसद लोगों ने कहा कि लकवा में शरीर का प्रभावित अंग कार्य करना बंद कर देता है जबकि 5 फीसद लोगों ने यह कहा कि इस बीमारी का इलाज ओझा के पास है।
विश्व लकवा दिवस पर बीएचयू के न्यूरोलॉजी विभाग में मंगलवार को आयोजित जन जागरूकता कार्यक्रम में यह सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। रिपोर्ट से यह भी पता चला कि सिर्फ 2.8 फीसद लोगों ने कहा कि लकवा होने पर वे न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करेंगे, 77.3 फीसद लोगों ने कहा कि वे किसी नजदीकी अस्पताल में जाएंगे, जबकि 13.3 लोगों ने कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है कि ऐसे में क्या करना चाहिए। पांच फीसद लोगों ने कहा कि वे झाड़-फूंक कर इलाज कराएंगे। 'लकवा का प्रभाव कैसे कम करेंगे' इस सवाल के जवाब में 41.5 फीसद लोगों ने कहा कि वे चिकित्सक की सलाह से उचित इलाज कराएंगे। 23.2 फीसद ने कहा कि व्यायाम द्वारा लकवा के प्रभाव को रोकेंगे। महज 3.5 फीसद लोगों ने कहा कि वे जागरूक बनाएंगे। 20.5 लोगों को यह मालूम नहीं कि ऐसी स्थिति में वह क्या करेंगे।
जागरूकता कार्यक्रम में सर्वे के दौरान उभर कर सामने आई बातों पर मंथन किया गया। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. आरके मिश्रा व अध्यक्षता सर सुंदरलाल चिकित्सालय के अधीक्षक प्रो.यूएस द्विवेदी ने की। इस मौके पर मौजूद लकवाग्रस्त मरीजों एवं इलाज से ठीक हो चुके लोगों ने इस बीमारी के बारे में अनुभव बताए। स्वागत विभागाध्यक्ष डॉ. दीपिका जोशी, संचालन डॉ. वीएन मिश्रा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. आरएन चौरसिया ने किया।
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