वेद संरक्षण के लिए जनजागरूकता का संकल्प
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वाराणसी : अखिल भारतीय विद्वत परिषद की ओर से रविवार को मूर्धन्य विद्वानों, रचनाकारों को न सिर्फ सम्मानित किया गया बल्कि वैदिक धारा की प्रासंगिकता को जन-जन तक पहुंचाने का संकल्प संजोया गया।
संकटमोचन स्थित एक वाटिका में आयोजित समारोह में संविधान विशेषज्ञ आचार्य सुभाष कश्यप ने कहा कि भारतीय संस्कृति विश्व की श्रेष्ठतम संस्कृति है, जहां तक पर्यावरण की बात है कि पर्यावरण के बारे में भारतीय चिंतनधारा को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किया जा रहा है। व्यंकटेश वेद विवि तिरुपति के कुलपति प्रो. सुदर्शन शर्मा ने वेदों के संरक्षण पर जोर दिया। विद्वत परिषद के महासचिव डॉ. कामेश्वर उपाध्याय ने घोषणा की कि परिषद विद्वानों के विचारों का सम्मान करते हुए सम्पूर्ण देश में जन-जागरण अभियान शुरू करेगी। कहा कि विद्वत परिषद ने 11 वर्षो के दौरान सात सौ से अधिक विद्वानों का सम्मान किया है। यह विश्वास जताया कि परिषद की इकाई न सिर्फ पूरे देश में बल्कि विदेशों में भी स्थापित होगी। समारोह में आचार्य उपाध्याय विरचित 'हिंदू जीवन पद्धति' का विमोचन मुख्य अतिथि ने किया। इस दौरान प्रो. ओम प्रकाश पांडेय ने भी विचार व्यक्त किए।
समारोह में पूर्व मंत्री आरिफ मोहम्मद खान को राजनयशिरोमणि, कानूनविद् सुभाष कश्यप को संविधान शिरोमणि, सुदर्शन शर्मा को विद्यावाचस्पति, जयप्रकाश नारायण द्विवेदी को संस्कृतविद्याविशारद और मिथिला प्रसाद त्रिपाठी को पंडितराज की उपाधि से विभूषित किया गया। आचार्य रामयत्न शुक्ल और आचार्य शिवजी उपाध्याय को आजीवन पुरस्कार एवं सम्मान से नवाजा गया। विद्वदभूषण सम्मान से ज्योतिषविद् आचार्य केए दुबे पद्मेश, आचार्य अविनाश राय, डॉ. मिथिलेश कुमारी मिश्र, डॉ. विभा मिश्रा, श्रीमती अरूणा रमन, प्रो. शारदा अय्यर, प्रो. आशा सिन्हा, पं. रामनारायण शर्मा, डॉ. राजाराम तिवारी, आचार्य रामगोपाल शुक्ल, आचार्य रमेशचंद्र सिनहा, प्रो. एके जैन आदि को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त कादम्बरी, बाणभंट्ट, शब्दशक्ति, महर्षि भारद्वाज, जयशंकर प्रसाद, यास्क आनंदवर्धन, मायागोपाल सहित युवा प्रतिभा सम्मान भी दिया गया। स्वागत डॉ. यूपी सिंह, संचालन प्रो. उपेंद्र पांडेय व डॉ. रेणु श्रीवास्तव तथा अध्यक्षता प्रो. जयशंकर लाल त्रिपाठी ने की।
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