भदोही के ज्ञानपुर जेल में 114 बंदी की क्षमता 340 कैदी रखे गए, ब्रिटिश काल की जर्जर दीवारों से खतरा
ब्रिटिश काल की जर्जर दीवारों के बीच में क्षमता से तीन गुना अधिक बंदी। न तो जैमर की व्यवस्था और बंदीरक्षकों की तैनाती। लंबरदारों (राइटर) के हाथ में जिल ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, भदोही। ब्रिटिश काल की जर्जर दीवारों के बीच में क्षमता से तीन गुना अधिक बंदी। न तो जैमर की व्यवस्था और बंदीरक्षकों की तैनाती। लंबरदारों (राइटर) के हाथ में जिला जेल की चाबी। यह हाल है ज्ञानपुर स्थित जिला जेल का। आलम यह है कि क्षमता को देखते हुए अन्यत्र जिला जेल बनाने का प्रस्ताव भी शासन की आलमारियों में धूल फांक रहा है।
ब्रिटिश काल में वाराणसी जनपद के समय ज्ञानपुर में स्थित जेल को लाकअप की संज्ञा दी गई थी। बंदियों को वाराणसी ले जाने और फिर पेशी के दौरान ले आने की समस्या को देखते हुए ज्ञानपुर स्थित लाकअप में ही रखा जाता था। इसकी क्षमता मात्र 114 बंदियों की है। जनपद सृजन के बाद 1994 में इस लाकअप को उप कारागार का तो नवम्बर 2014 में इसे जिला कारागार का दर्जा दे दिया गया। खास बात तो यह है कि एक लाकअप को जिला कारागार का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन शासन की ओर से न तो बंदीरक्षक बढ़ाए गए और न सुरक्षा के अन्य इंतजाम किए गए। वही जर्जर सिंगल बाउंड्रीवाल और वही जर्जर बैरक। सबसे खराब बात तो यह है कि 114 बंदी की क्षमता वाली इस लाकअप में वर्तमान में 340 बंदी रखे गए हैं। नियमानुसार किसी भी जेल में दो बाउंड्रीवाल होते हैं जबकि ज्ञानपुर उप कारागार में मात्र एक बाउंड्रीवाल है। टॉवर के साथ ही साथ जैमर आदि की व्यवस्था होनी चाहिए। जिला जेल का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन अभी तक पदों की स्वीकृति नहीं दी जा सकी है।लंबरदारों के भरोसे जिला जेल की कमान है। महिला बैरक की क्षमता मात्र आठ है जबकि वर्तमान यहां इससे दो गुना अधिक है।
जिला जेल निर्माण को जिला प्रशासन से हरी झंडी
जिला जेल निर्माण का प्रस्ताव शासन में प्रस्तावित है। जिला प्रशासन की ओर से 38 एकड़ भूमि जेल विभाग के नाम दर्ज कर दिया गया है जबकि 16 एकड़ किसानों की भूमि अधिग्रहित की गई है। मुआवजा के लिए शासन से बजट मांगे गए हैं। जेलर ने बताया कि शासन से स्वीकृति मिलते ही 1000 क्षमता का जिला जेल का निर्माण कराया जाएगा

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