बर्थ एस्फिक्सिया बीमारी से मंदबुद्धि नहीं होंगे बच्चे
वाराणसी : बर्थ एस्फिक्सिया एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमें पैदा होने के बाद नवजात शिशु न तो रो पाता है और
वाराणसी : बर्थ एस्फिक्सिया एक ऐसी बीमारी हैं, जिसमें पैदा होने के बाद नवजात शिशु न तो रो पाता है और न ही सास ले पाता है। ऐसे में जान जाने का खतरा बढ़ जाता है। अगर वह जिंदा रहता भी है तो उसे मंदबुद्धि जैसी बीमारी होने की भी आशंका प्रबल हो जाती है। अब इससे घबराने की जरुरत नहीं है, क्योंकि बीएचयू के बाल रोग विभाग ने इसका तोड़ निकाल लिया है। यहां पर एक विशेष पद्धति ईजाद की गई है, जिससे बच्चे पर मंदबुद्धि होने के खतरे को टाला जा सकता है। चिकित्सकों का दावा है कि थिरेप्यूटिक हाइपोथर्मिया पद्धति से इलाज करने से ऐसा संभव है। ऐसे कई कार्यो के लिए ही हाल ही में प्रो. अशोक कुमार को सम्मानित किया गया।
क्या है बर्थ एस्फिक्सिया
चिकित्सा विज्ञान संस्थान के बाल रोग विभाग, बीएचयू स्थित निकू वार्ड के प्रभारी प्रो. अशोक कुमार बताते हैं कि बर्थ एस्फिक्सिया यह एक सामान्य रोग है, जो नवजात शिशुओं में होता है। इसके कारण बच्चा पैदा होने के बाद सांस नहीं ले पाता है और न ही रो पाता है। यह समस्या मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी के कारण उत्पन्न होती है।
थिरेप्यूटिक हाइपोथर्मिया पद्धति
इस पद्धति से बर्थ एस्फिक्सिया रोग से ग्रसित बच्चों का उपचार किया जाता है। बच्चे के पैदा होने के छह घंटे के अंदर ही मशीन में रखकर उसके शरीर का तापमान 33.5 डिग्री सेल्सियस कर दिया जाता है, जो सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस कम है। मशीन में बच्चे को 72 घंटे तक रखा जाता है। इसके बाद तापमान को सामान्य कर बच्चे को मशीन से हटाया जाता है। सर सुंदरलाल अस्पताल के नवजात शिशु सघन इकाई में इसका इलाज किया जाता है।
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