एक फीट में तान दिया चार तल्ला मकान
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जयप्रकाश पाण्डेय
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वाराणसी : ..तो एक बार फिर चमत्कार को नमस्कार करिए। उस चमत्कार को जिसे जुगाड़ के पांव ने ऐसी रफ्तार दी कि इंजीनियरों के होश हवा हो गए। काशी में यह चमत्कार इस बार नमूदार हुआ एक मकान के रूप में। ऐसा मकान जिसे आप इस दुनिया में सबसे दुबला-पतला होने का खिताब भले न देना चाहें मगर यह उस खिताब की दौड़ में शामिल तो है ही।
आइए चलते हैं जैतपुरा थाना अंतर्गत शैलपुत्री इलाके में। यहां के मो. फारुख को उनके श्वसुर सफीउल्ला ने करीब दस वर्ष पूर्व जमीन का एक टुकड़ा प्रदान किया। इस भू-भाग की ऐतिहासिक चौड़ाई मोहड़े पर एक फीट व पिछवाड़े तक पहुंचते पहुंचते करीब चार फीट थी, लंबाई कुल जमा तेईस फीट। ..अब इस जमीन का फारुख करें क्या, तो दिन रात रहने लगे बेचैन। तभी एक 'मित्र' ने सलाह दे डाली कि ऊपरवाले का नाम लेकर नीचे से ऐसा मकान बनवाना शुरू करो जो, ज्यों-ज्यों ऊपर पहुंचे, चौड़ा होता जाए। इसमें बैठाया जाएगा पॉवरलूम।
बहरहाल, चमत्कार होना था सो कहीं से ऐसे दिलेर मिस्त्री-मजूरा भी मिल गए। काम शुरू हो गया। देखते ही देखते एक, दो, तीन नहीं पूरे चार तल्ले का मकान 'लहराने' लगा। इसे अलंकारिक प्रयोग न समझा जाए, नीचे एक फीट व उसके बाद हवा में अतिक्रमण कर क्रमश: चौड़ा होता गया बिना बीम-पिलर वाला यह चार तल्ला मकान सचमुच 'लहराने' लगा। अब, पड़ोसियों को लहराते और नींव में दरार का दर्शन कराते इस मकान से जब जान का भय हुआ तो 13 जनवरी को बात पुलिस व प्रशासन तक पहुंच गई। अंतत: मौके पर पहुंचे अफसरों ने इस चमत्कार को देख नमस्कार किया और ऊपर की दो मंजिलों को ध्वस्त करा दिया।
आज की तारीख में यह मकान अपने आप में तमाम किस्से समेटे यूं ही खड़ा है आधा अधूरा। फारुख को इस बात का मलाल जरूर है कि अफसरों ने उनकी रचना का सम्मान नहीं किया। यहां इस सवाल का कोई मतलब नहीं है कि विकास प्राधिकरण के रहते यह मकान बन कैसे गया, निर्माण के वक्त थाना-पुलिस कहां थी आदि अदि। इन सवालों का जवाब तो बड़े बड़े नहीं तलाश पाए।
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