बेटी को भगाकर ले गया था युवक… पिता ने रिश्ता ठुकराया तो कर दी हत्या, अब कोर्ट ने सुनाई ये सजा
करीब 20 वर्ष पहले आसीवन क्षेत्र के गांव पाठकपुर में युवती से प्रेम विवाह करने के बाद माता-पिता ने रिश्ते खत्म कर लिए। इससे नाराज युवक पत्नी के पिता को लाठी-डंडों से पीट कर मार डाला। एससी-एसटी न्यायालय ने इसी मुकदमे में आरोपी दामाद को दोषी करार दिया। न्यायालय ने अभियुक्त को आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
जागरण संवाददाता, उन्नाव। करीब 20 वर्ष पहले आसीवन क्षेत्र के गांव पाठकपुर में युवती से प्रेम विवाह करने के बाद माता-पिता ने रिश्ते खत्म कर लिए। इससे नाराज युवक पत्नी के पिता को लाठी-डंडों से पीट कर मार डाला। एससी-एसटी न्यायालय ने इसी मुकदमे में आरोपी दामाद को दोषी करार दिया। न्यायालय ने अभियुक्त को आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। वहीं अर्थदंड अदा न करने पर छह माह का अतिरिक्त कारावास दिए जाने का आदेश दिया है।
यह है पूरा मामला
आसीवन क्षेत्र के गांव पाठकपुर निवासी रामबली पासी की पुत्री केतकी काे गांव का ही प्रेम यादव बहला फुसलाकर भगा ले गया था। जिसके बाद दोनों ने शादी कर ली और घर लौट आए। जिसपर रामबली और उसके दोनों पुत्रों ने उनसे रिश्ता खत्म कर लिया और घर में घुसने नहीं दिया। इसी बात से प्रेम यादव नाराज था।
आठ अगस्त 2004 की शाम रामबली किसी काम से गांव के पास स्थित आवागोझा की बाजार जा रहा था। तभी पहले से घात लगाकर बैठे प्रेम यादव ने रामबली को लाठी डंडों से जमकर पीटा। गंभीर रूप से घायल रामबली की कुछ ही देर बाद मौत हो गई।
रामबली की पत्नी रामरती ने आसीवन थाने में गैर इरादतन हत्या की धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया। पुलिस ने आरोपी दामाद प्रेम यादव को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जहां से कुछ समय बाद उसे जमानत मिल गई। मुकदमे की विवेचना तत्कालीन सीओ त्रिभुवन सिंह ने 18 अगस्त 2004 को चार्जशीट न्यायालय में पेश कर थी। तब से मुकदमा विचाराधीन था।
गुुरुवार को विशेष न्यायालय एससी एसटी कोर्ट संख्या दो में मुकदमे की सुनवाई पूरी हुई। जहां अभियोजन से विशेष लोक अभियोजक जगन्नाथ कुशवाहा की दलीलों को सुनने और साक्ष्यों को परखने के बाद न्यायाधीश मो. असलम सिद्दकी ने आरोपित प्रेम यादव को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और 25 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।