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    महिला के हाथ में इंसास राइफल-शरीर में वर्दी... ‘सिपाही’ या कोई और? पुलिस के लिए खाकी वर्दीधारी महिला बनी रहस्य

    Updated: Sun, 02 Feb 2025 09:04 AM (IST)

    कानपुर-लखनऊ हाईवे पर दही क्षेत्र में शुक्रवार रात एक खाकी वर्दीधारी महिला का शव मिलने से सनसनी फैल गई। महिला की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। पुलिस को उसके पास से मिले आधार कार्ड से पता चला है कि उसका नाम शिल्पी सिंह है और वह लखनऊ की रहने वाली है। लेकिन लखनऊ पुलिस में इस महिला की कोई जानकारी नहीं मिली है।

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    महिला के हाथ में ‘इंसास’ शरीर में वर्दी, ‘सिपाही’ या कोई और

    जागरण संवाददाता, उन्नाव। कानपुर-लखनऊ हाईवे पर दही क्षेत्र में शुक्रवार रात सड़क हादसे में जान गंवाने वाली खाकी वर्दीधारी महिला का मामला रहस्य बन गया है। जो मोबाइल उसके पास मिला, उसकी स्क्रीन में लगी फोटो में महिला खाकी वर्दी पहने होने के साथ हाथ में इंसास लिए हैं। हालांकि वह लखनऊ के किस थाना में तैनात है, इसका पता 24 घंटे बाद भी नहीं चल पाया।

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    अब पुलिस महिला के सिपाही होने पर भी संदेह जता रही है। पुलिस ने पति व बड़े भाई से संपर्क किया है। एसओ संजीव कुशवाहा ने बताया कि रविवार को स्वजन यहां पहुंचेंगे, इसके बाद पोस्टमार्टम कराया जाएगा।

    कानपुर-लखनऊ हाईवे पर दही क्षेत्र में सोनिक डायवर्जन प्वाइंट के पास शुक्रवार रात खाकी वर्दी पहने व इयर फोन लगाए एक महिला का शव पड़ा मिला था। पास ही एक स्कूटी भी पड़ी मिली थी। पुलिस ने किसी वाहन की टक्कर लगने से महिला सिपाही की मौत होने की बात कही थी और उसके बारे में जानकारी जुटानी शुरू की थी।

    उसके पास मिले आधार कार्ड से पुलिस ने महिला का नाम 30 वर्षीय शिल्पी सिंह लखनऊ निवासी बताया था। आधार कार्ड में लखनऊ का पता होने से पुलिस ने उसकी तैनाती लखनऊ के किसी थाना में होने की संभावना पर वहां की पुलिस से संपर्क करना शुरू किया था।

    लखनऊ के करीब सभी थानों से संपर्क करने के बाद भी महिला के सिपाही होने की जानकारी नहीं मिली।

    थाना प्रभारी संजीव कुशवाहा ने बताया कि शिल्पी सिंह पुत्री अशोक सिंह मूलत: बलिया क्षेत्र के पालकी के हुसैनाबाद सिकंदरापुर की रहने वाली है। जबकि मऊ जिले थाना रानीपुर के मंडूसरा गांव में उसकी ससुराल है। पति अश्वनी सिंह से वर्ष 2020 में उसका अलगाव हो गया था। तब से उसकी पत्नी शिल्पी अपने 11 साल के बेटे को लेकर लखनऊ में किराए का कमरा लेकर रहने लगी थी।

    उधर गुजरात के अहमदाबाद में रहकर नौकरी करने वाले दिवंगत शिल्पी के बड़े भाई आशीष ने अपने बहनोई अश्वनी को वहीं बुला लिया था और एक फैक्ट्री में नौकरी लगवा दी थी। भाई आशीष भी बहन से असंतुष्ट रहता था। वह बहनोई के पक्ष में है।

    एसओ के अनुसार उसके पिता अशोक छत्तीसगढ़ के जिला दुर्ग में रहकर नौकरी करते हैं। एक अन्य भाई छोटू अपने पिता के साथ छत्तीसगढ़ में ही रहता है। शिल्पी वर्ष 2020 के बाद मायके व ससुराल पक्ष से कोई मतलब नहीं रखती थी।

    एसपी दीपक भूकर ने बताया कि अभी तक दिवंगत शिल्पी का पति व भाई यहां नहीं पहुंच पाया है। वह आ रहे हैं। अब तक की जांच में शिल्पी के महिला सिपाही न होने की बात पता चली है। एसओ को दोबारा इस संबंध में जांच करने को कहा गया है।

    मकान मालकिन के नाम है स्कूटी

    एसओ संजीव कुशवाहा ने बताया कि दिवंगत शिल्पी के शव के पास जो स्कूटी मिली वह लखनऊ के कृष्णानगर के पंडितखेड़ा निवासी दीपिका पत्नी शिवगोपाल बाजपेई के नाम दर्ज मिली।जब दीपिका से संपर्क किया गया तो पता चला कि शिल्पी की चचेरी ननद उन्हीं के घर के पास रहती है।उसी ने शिल्पी को कमरा दिलाया था। दीपिका के अनुसार शुक्रवार को शिल्पी उसकी स्कूटी लेकर पास में जाने की बात कह निकली थी। उसने अपने 11 साल के बेटे को चचेरी ननद के पास छोड़ दिया था।

    उन्नाव कैसे पहुंची इसकी जानकारी दीपिका को भी नहीं है। बताया कि वह वर्दी पहनकर आती थी, इससे उसे लगा कि वह पुलिस विभाग में सिपाही है। वह अपने बारे में कुछ नहीं बताती थी, बस समय से किराया देने से मतलब रखती थी।

    चाचा व पूर्व प्रधान पहुंचे, भाई व पति के आने का इंतजार

    एसओ ने बताया कि शनिवार रात करीब 9:30 बजे मृतका के मायके बलिया से पूर्व प्रधान महेश सिंह व चाचा थाना पहुंचे हैं। दोनों को शिल्पी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। दिवंगत शिल्पी के भाई आशीष व पति अश्वनी लगातार संपर्क में हैं। उन्होंने देर रात तक उन्नाव पहुंचने की बात कही है। उनके आने पर यह पता चलेगा कि शिल्पी सिपाही है या नहीं।

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