पूर्व बार अध्यक्ष और महामंत्री समेत 5 पर 76.22 लाख के गबन का केस, भवनों के निर्माण के दौरान लगाया चूना
बार एसोसिएशन अध्यक्ष गिरीश कुमार मिश्र ने पूर्व अध्यक्ष सतीश कुमार शुक्ल, पूर्व महामंत्री अरविंद कुमार दीक्षित और कुछ प्रोपाइटरों के खिलाफ बार ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, उन्नाव। बार एसोसिएशन अध्यक्ष गिरीश कुमार मिश्र ने पूर्व अध्यक्ष सतीश कुमार शुक्ल, पूर्व महामंत्री अरविंद कुमार दीक्षित, प्रोपराइटर जगत ट्रेडर्स, प्रोपराइटर सुमित ब्रिक फील्ड, विजय प्रताप सिंह पर बार भवनों के निर्माण में 76.22 लाख के गबन का आरोप लगा सदर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है।
बार एसोसिएशन अध्यक्ष गिरीश कुमार मिश्र ने एसपी जयप्रकाश सिंह को तहरीर देकर बताया कि उन्होंने पद ग्रहण के बाद कार्यालय लिपिक प्रताप शंकर रावत से निवर्तमान अध्यक्ष सतीश कुमार शुक्ला व निवर्तमान महामंत्री अरविंद कुमार दीक्षित द्वारा कलेक्ट्रेट परिसर में परशुराम अधिवक्ता समेत तीन भवन के निर्माण संबंधी आय व्यय की लिखित जानकारी ली। जिसमें पता चला कि निवर्तमान अध्यक्ष व निवर्तमान महामंत्री के मौखिक निर्देश पर आवंटी अधिवक्ताओं से 1 करोड़ 21 लाख 26500 रुपये कार्यालय में जमा किए थे।
जिसकी रसीद कार्यालय से आवंटी अधिवक्ताओं को दी गई थी। निर्माण के समय निर्माण सामग्री व मजदूरों की मजदूरी के जो भी बिल निवर्तमान अध्यक्ष व निवर्तमान महामंत्री द्वारा स्वीकृत कर भेजे जाते थे उनका भुगतान प्रताप शंकर द्वारा दिया जाता था।
धनराशि को कार्यालय में मौजूद रजिस्टर में किया जाता था अंकित
भुगतान की गयी धनराशि को कार्यालय में मौजूद रजिस्टर में अंकित किया जाता था। चुनाव के पांच दिन पूर्व 19 फरवरी 2025 को निवर्तमान अध्यक्ष सतीश कुमार शुक्ला मूल बिलों का मिलान करने के बहाने मुझे पावती रसीद (रिसीविंग) देकर रजिस्टर उठा ले गए।
बार अध्यक्ष के अनुसार कार्यालय में बिल न होने की दशा में संस्था के धन गबन की आशंका का मामला प्रतीत होने अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उक्त प्रकरण पर चर्चा के लिए एक मार्च 2025 को सुबह 10 बजे बैठक बुलाई। जिसमें निवर्तमान अध्यक्ष व निवर्तमान महामंत्री को उक्त भवनों के निर्माण संबंधी आय व्यय के मूल प्रपत्र दिए जाने के लिए कहा गया।
पूर्व अध्यक्ष ने एक माह का समय मांगा। इस पर एक अप्रैल 2025 तक एक माह का समय दिया गया पर समय बीतने के बाद भी निवर्तमान अध्यक्ष व महामंत्री आय व व्यय के मूल प्रपत्र नहीं दे पाए। मौजूदा अध्यक्ष ने दावा किया कि सदन से अनुमति लिए बगैर बार कार्यालय से निवर्तमान अध्यक्ष एवं महामंत्री द्वारा भवनों के निर्माण के नाम पर 1 करोड़ 21 लाख 26500 रुपये बार एसोसिएशन कार्यालय से व कार्यकाल समाप्त होने के बाद भी लगभग 36 लाख 62 हजार 500 रुपये सीधे अधिवक्ताओं को बार के नाम के आवंटन पत्र देकर वसूले।
इस तरह निवर्तमान अध्यक्ष व महामंत्री द्वारा एक करोड़ 57 लाख 89 हजार रुपये वसूल किए गए। बार के पदाधिकारियों सर्वसम्मति से पांच सदस्यीय जांच कमेटी का गठन किया गया। जांच कमेटी ने बिलों का सत्यापन किया तो फर्म के मालिकों ने अपने बयान देने से मना कर बिलों की छायाप्रतियों का सत्यापन नहीं कराया।
इसके साथ ही बिल से संबंधित जीएसटी प्रमाण नहीं दिया। लिखित नोटिस भेजे जाने पर लेने से इन्कार कर दिया। जांच कमेटी मूल्यांकनकर्ता को निर्धारित किया। जिसने भवनों के मानक के अनुसार तीन भवनों के निर्माण की लागत धनराशि 81 लाख 66 हजार 983 रुपये निकाली। बताया कि इस हिसाब से 76 लाख 22 हजार 17 रुपये का गबन किया गया।
एसपी के निर्देश पर कोतवाली में बीएनएस की धारा 318(4) (धोखाधड़ी), बीएनएस 336 (3) (कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जालसाजी), बीएनस 338 (धन या संपत्ति प्राप्त करने के अधिकार से संबंधित दस्तावेजों की जालसाजी), बीएनएस 340 (2) (जाली दस्तावेज, जैसे नकली सर्टिफिकेट को धोखाधड़ी या बेईमानी से असली मानकर इस्तेमाल करना)। कोतवाल चंद्रकांत मिश्र ने बताया कि मुकदमा दर्ज कर जांच की जा रही है।

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