अब नहीं चल पाएगी ट्रैक खराब होने की पेशबंदी
रेल हादसे में अक्सर जांच की आंच से लापरवाह एक दूसरे को दोषी ठहराते हुए खुद का बचाव कर लेते हैं। जैसे कि कानपुर- लखनऊ रेल रूट में अब तक हुए हादसों में देखने को मिला है। घटना के बाद जांच को अधिकारी अंजाम नहीं दे सकें। यह सारी पेशबंदी कहीं न कहीं रेल हादसों को फिर से न्यौता दे देती है। इससे उभरने के लिए रेलवे ने अब ट्रैक के उच्चीकरण या बदलाव कार्य में कार्यदायी संस्था के साथ संबंधी विभाग द्वारा कराए जाने वाले कार्य का सबूत लेना शुरू किया है। ताकि हादसे के वक्त उसे कसौटी बनाया जा सके।
जागरण संवाददाता, उन्नाव : रेल हादसे में अक्सर जांच की आंच से लापरवाह एक दूसरे को दोषी ठहराते हुए खुद का बचाव कर लेते हैं। कानपुर-लखनऊ रेल रूट पर पूर्व में हुए हादसों में ये देखने को भी मिला है। घटना के बाद अधिकारी जांच को अंजाम तक नहीं ले जा सके। यह सारी पेशबंदी कहीं न कहीं रेल हादसों को फिर से न्यौता दे देती है। इससे उभरने के लिए रेलवे ने अब ट्रैक के उच्चीकरण या बदलाव कार्य में कार्यदायी संस्था के साथ संबंधी विभाग द्वारा कराए जाने वाले कार्य का सबूत लेना शुरू किया है, जिससे कि हादसे के वक्त उसे कसौटी बनाया जा सके।
कानपुर-लखनऊ रूट पर ट्रेनों की स्पीड बढ़ाने के लिए रेल पथ इंजीनियर ने कार्य शुरू किया है। अजगैन से सोनिक के मध्य 160 किलो के स्लीपर और ट्रैक बिछ चुके हैं। अप हिस्से में यह कवायद पहले चरण में की जा रही है। ट्रेन की औसत गति 160 करने की परियोजना को पूरा करने के साथ ही रेलवे कराए जाने वाले कार्यों की गुणवत्ता पर भी कार्य कर रहा है। इसके लिए ट्रैक-स्लीपर की गुणवत्ता व वजन की गवाही देने के लिए रबरपैड पर पूरी जानकारी दी गई है। पेंड्रोल क्लिप के सपोर्ट में लगने वाले साधारण रबरपैड या लोहे के टुकड़े हटाए जा रहे। रेलवे द्वारा तैयार किया जा रहा सर्किट एरिया हादसों की जांच में भी कसौटी बनेगा।
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उच्चीकरण में भी अपनाई जा रही व्यवस्था
नए ट्रैक बिछाने के साथ ही ट्रैक उच्चीकरण व नॉन-इंटरलॉकिग वाले सेक्शन में यह सर्किट तैयार किया जा रहा। पेंड्रोल क्लिप के नीचे सफेद रंग के रबरपैड लगाए जा रहे हैं। उन्नाव रेलवे स्टेशन के चार (लूप) और तीन नंबर (अप) ट्रैक में हुए उच्चीकरण कार्य में रबरपैड लगाए गए हैं। सीनियर सेक्शन इंजीनियर
रेल पथ विकास कुमार ने बताया कि 54 के बदले 60 किलो वजन का स्लीपर व ट्रैक बिछाया जा रहा। इसके अलावा सेक्शनों में सर्किट एरिया भी बनाया जा रहा।
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एक दूसरे की पेशबंदी में दबी जांच
- जनवरी 2017 में छमकनाली पुलिया पर डाउन लाइन में मालगाड़ी पलटी थी। इसमें ट्रैक-स्लीपर के साथ ओएचई तहस नहस हो गई थी। हादसे में लापरवाही किसकी थी यह तय नहीं हो सका। रेल पथ विभाग और कैरिज ऐंड वैगन के अधिकारियों के बीच जांच दब कर रह गई।
- मई 2017 में उन्नाव स्टेशन के डाउन लाइन में एलटीटी एसी स्पेशल एक्सप्रेस के 11 डिब्बे ट्रैक से उतर गए थे। जिसमें प्लेटफार्म तीन तहस-नहस हुआ था। यह जांच भी पेशबंदी के चलते कागजों में रह गई।
- नवंबर 2016 में उन्नाव स्टेशन के पश्चिमी केबिन के पास टावर वैगन ट्रैक से उतर गया था। यहां भी पेशबंदी के चलते जांच पूरी नहीं हो सकी।
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