कफ साउंड डेटा व खांसी की आवाज से होगी टीबी की पहचान
जागरण संवाददाता उन्नाव राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन अभियान के तहत भारत सरकार क्षयरोग नियंत्रण् ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, उन्नाव : राष्ट्रीय क्षयरोग उन्मूलन अभियान के तहत भारत सरकार क्षयरोग नियंत्रण विभाग अब टीबी के मरीजों का चिह्नांकन करने के लिए कफ साउंड डेटा व खांसी की आवाज से टीबी रोग की पहचान करने की आधुनिक टेक्नालाजी विकसित करने जा रहा है। इसकी रिसर्च भी शुरू कर दी गई है। इसके लिए भारत सरकार के क्षयरोग नियंत्रण कार्यक्रम के तहत कफ साउंड डेटा कलेक्शन का एक एप जारी किया गया है। रिसर्च के लिए प्रदेश में पायलेट प्रोजेक्ट के तहत जो जनपद शामिल किए गए हैं उनमें उन्नाव भी शामिल है। जिले के 91 टीबी मरीजों के एप कफ एवं खांसी साउंड के सैंपल फीड कर भेजे गए हैं।
जिला क्षयरोग अधिकारी डा. मनीष मिश्र ने बताया कि राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन अभियान के तहत रिसर्च के पायलट प्रोजेक्ट में 91 टीबी के मरीजों की कफ और खांसी की आवाज का सैंपल लिया गया है। जिसे रिसर्च के लिए भेजा गया है। उन्होंने बताया कि भविष्य में कफ और खांसी की आवाज टीबी की पहचान करने की तकनीक विकसित की जा रही है। जिला क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि भारत सरकार द्वारा रिसर्च के लिए सैंपल लेकर भेजने का आदेश राज्य क्षय नियंत्रण अधिकारी डा. संतोष गुप्ता ने दिया है। जिसके तहत एप सैंपल लेकर भेजे गए हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक तीन हफ्ते से अधिक खांसी होने पर व्यक्ति के बलगम, एक्सरे व ट्रूनाट आदि से जांच कराई जाती है। लेकिन भारत सरकार ने भविष्य में टीबी के मरीजों की पहचान आसानी से हो सके इसके लिए एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया गया है। सेंट्रल टीबी डिवीजन ने एक एप जारी किया है। जिसमें कफ और खांसी की आवाज रिकार्ड कर रिसर्च कराई जा रही है। भविष्य में इस नयी तकनीक से टीबी मरीजों की पहचान करने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि सभी राज्यों के चुनिदा जिलों में टीबी के मरीजों के खांसने की आवाज रिकार्ड कराई जा रही है। जिसमें उन्नाव से 91 टीबी मरीजों का खांसने का सैंपल भेजा गया है। क्षयरोग अधिकारी ने बताया कि यह विधि विकसित हो जाने के बाद लोग एप के माध्यम से घर बैठे टीबी की जांच कर सकेंगे।

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