Unnao: फर्जी दस्तावेजों से सरकारी जमीन हथियाने का खेल, कोर्ट से पहले इंटरनेट मीडिया पर आ रही है ‘चार्जशीट’
जाजमऊ चौकी प्रभारी अजय कुमार शर्मा को मुकदमे की विवेचना मिली थी। विवेचना महीनों चली इस दौरान तमाम आरोपितों की पुलिस के चर्चित अधिकारी के साथ तमाम मीटिंग होने की खूब चर्चा रही। चार-पांच रोज पहले अचानक इंटरनेट मीडिया पर मुकदमे के विवेचक द्वारा लगाई गई चार्जशीट प्रसारित होने लगी। चार्जशीट में आरोपितों पर जो धाराएं लगाई गईं वह साक्ष्य के बजाय गवाहों के बयानों पर तय की गईं।

जागरण संवाददाता, उन्नाव : गंगाघाट क्षेत्र के कटरी पीपरखेड़ा और उसके आसपास के गांवों की सरकारी जमीनें फर्जी दस्तावेज के जरिए हथियाने का खेल चरम पर है। खेल ऐसा कि एक भू-माफिया दूसरे को टिकने न देने की आजमाइश कर रहे है। पुलिस और प्रशासन से सेटिंग कर भू-माफिया एक दूसरे को जेल भिजवाने का खेल भी खेलते हैं।
आठ माह पहले सर्वे लेखपाल द्वारा जिन आठ लोगों पर धोखाधड़ी और कूटरचित अभिलेखों से सरकारी व निजी लोगों की जमीन हथियाने का मुकदमा दर्ज कराया गया था, उनमें से कुछ ऐसे हैं, जिनपर इससे पूर्व में एक भी मुकदमा दर्ज नहीं है।
चौंकाने वाला तथ्य यह है कि विवेचक द्वारा लगाई गई चार्जशीट कोर्ट पहुंचने से पहले इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित हो गई, जिससे पुलिस पर ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं।
सर्वे लेखपाल चकबंदी गणेश शंकर ने 22 नवंबर 2022 को गंगाघाट थाना में नौशाद लारी, साहब लारी निवासी जेके कालोनी जाजमऊ कानपुर, शादाब लारी निवासी इफ्तिखारबाद निहाल क्लीनिक के पास अनवरगंज कानपुर, धर्मराज निषाद निवासी जुराखन खेड़ा गंगाघाट, विमल कुमार निषाद निवासी सफीपुर प्रथम हरजेंद्र नगर कानपुर, फैय्यजान आलम निवासी लाटूश रोड अनवरगंज, अंशुल ठाकुर निवासी जेके कालोनी जाजमऊ कानपुर और शेखर कुमार उर्फ गोलू निषाद निवासी जुराखन खेड़ा गंगाघाट के खिलाफ कटरी पीपरखेड़ा की कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी, सरकारी जमीन हथियाने का मुकदमा दर्ज कराया था।
जाजमऊ चौकी प्रभारी अजय कुमार शर्मा को मुकदमे की विवेचना मिली थी। विवेचना महीनों चली, इस दौरान तमाम आरोपितों की पुलिस के चर्चित अधिकारी के साथ तमाम मीटिंग होने की खूब चर्चा रही। चार-पांच रोज पहले अचानक इंटरनेट मीडिया पर मुकदमे के विवेचक द्वारा लगाई गई चार्जशीट प्रसारित होने लगी। चार्जशीट में आरोपितों पर जो धाराएं लगाई गईं वह साक्ष्य के बजाय गवाहों के बयानों पर तय की गईं।
हालांकि सवाल यह है कि बड़े से बड़े और छोटे से छोटे मामले में दाखिल की जाने वाली चार्जशीट की भनक किसी को नहीं लग पाती पर भूमाफिया से जुड़े इस मामले की चार्जशीट इंटरनेट मीडिया पर कैसे प्रसारित हो गई इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। हालांकि इस पर अभी कोइ बोलने को तैयार नहीं है।
भू-माफिया के खिलाफ दाखिल चार्जशीट वायरल
आरोपितों पर लगाई गई धाराओं के सापेक्ष साक्ष्य के बजाय गवाहों के बयानों को ही बनाया गया आधार l न्यायालय में दाखिल होने से पर पहले पुलिस का गोपनीय दस्तावेज प्रसारित हो जाने पर एसपी भी गंभीर
आरोपितों को राहत देगी प्रसारित चार्जशीट
चार्जशीट पुलिस का बेहद गोपनीय दस्तावेज होती है। यदि इसे प्रसारित किया गया तो सीधे तौर पर कहा जा सकता है कि आरोपितों को राहत पहुंचाने के लिए यह किया गया।
इंटरनेट मीडिया पर विवेचक द्वारा दाखिल चार्जशीट के प्रसारित होने का मामला संज्ञान में नहीं है। यदि ऐसा है तो ये बहुत गंभीर मसला है जांच करवा जिम्मेदार के खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की जाएगी। - सिद्धार्थ शंकर मीना , एसपी
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